Friends
नारी की बात आप छोड़ ही दो।लोगो ने तो उसे सिर्फ इस्तेमाल की वस्तु ही समझा है।उसे काबू में रखने ,गुलाम बनाये रखने के लिए तो सभ्य समाज के लोगो ने न जाने कितने आडम्बर और नियम बना रखे है। जन्म लेने से लेकर मरने तक निरंतर कार्यरत रहना। जन्म हुआ तो घर में भेदभाव का शिकार। अच्छा खाने पर ही रोक। यदि आवाज निकाली तो प्रताड़ना की शिकार। यानि यातना भरी शुरुआत। थोड़ी बड़ी हुई नहीं की नन्ही सी बच्ची के कंधो पर घर के काम का बोझ ,छोटे भाई को सँभालने का बोझ।फिर पढाई से बंचित ताकि उसे अपने बारे में जानने का मोका न मिले ,मतलब अपनी पहचान से बंचित।
किसी तरह थोड़ी और बड़ी हुई तो और बेचारी बना दी जाती है।वो CONFUSE हो के रह जाती है की वो जिन्दा इंसान है भी की नहीं, या की निर्जीव है ।
फिर वो उस अवस्था में पहुँच जाती है मतलब मासिक आना शुरू हो जाना।प्रताड़ित होते हुए भी ,जो सभ्य समाज इसपर जुल्म ढाता है उसे इस दुनिया में लाने की जिम्मेवारी।मुझे यहाँ एक बात पर बड़ी हैरानी होती है वो ये की जब मासिक आना शुरू होता है तो घर के लोगो को जहाँ उस लड़की का सम्मान करना चाहिए वही उसे मासिक के अंत होने तक उससे एक अछूत की तरह व्यवहार किया जाता है जैसे की उससे बहुत बड़ा अपराध हो गया है। उसे घर के किसी भी शुभ कार्य में भागिरदार बनने का हक़ नहीं होता।जिस लड़की के द्वारा इस सभ्य समाज का वंश फलता फूलता है उसके साथ ऐसा व्यवहार ! साथ ही मुझे इस बात को भी आपके बिच उठाना है सबसे ज्यादा भूखे प्यासे रहकर धार्मिक कार्यो में व्यस्त रहती है उसे ही धार्मिक कार्यो /धार्मिक स्थलों से दूर रखा जाता है।जरा सोचिये,विचार कीजिये।
धार्मिक अनुष्ठान में कुवारी कन्या को बहुत महत्व दिया जाता लेकिन उसी कन्या को दुनिया में आने के लिए कैसे कैसे दौर से गुजरना पड़ता है।
खैर मेरे दिल में बहुत भड़ास है ,उसे जाने दीजिये। अभी का मुद्दा यहाँ हो रहे बलात्कार पर चर्चा SHORT में करता हु।
आज जब स्त्री अपने पैरो पे खड़ी होने लगी हैं ,अपना अच्छा -बुरा सोचने समझाने लगी हैं , पैसे से मजबूत हो रही हैं ,बराबरी कर रही हैं तो सभ्य समाज के लोगो को नागवार गुजर रहा है।इसलिए स्त्री को कैसे डराया जाए ,धमकाया जाय ,आगे बढ़ने से रोका जाय।तो निम्न तरह की घटना शुरू हो जाती है जैसे :-
बलात्कार , तेजाब फेकना , एक तरफ़ा प्यार में जान ले लेना , MMS बना कर फैलाना , घर में जला देना , इज्जत के नाम पर स्त्री की बलि चढ़ाना, वेश्यावृति में धकेलना , डायन बना देना तथा अन्य दुसरे तरीके से दहशत फैलाना।इसके अलावा समय समय पर तुगलकी फरमान :--
@ कोई कहता है उनका पहनावा दोषी है। स्कर्ट/ जिन्स पर रोक लगावो।कोई GUARANTI दे सकता है
की बुरका पहनने पर कुछ नहीं होगा।
@ कोई कहता है तिरछी नजर से देखेगी तो उत्पीडन तो होगा ही।
@ कोई कहता है घर से बेवक्त निकलेगी तो घटना होगी ही।जिस घर में पुरुस नहीं है वहा तो महिला को ही EMERGENCY में निकलना पड़ेगा।
@ कोई कहता है INTERNET ,TV दोषी है।यानि अपनी कामिओ को किसी और पे थोपो।
@ कोई कहता है SEX-EDUCATION देना चाहिए।
@ अन्य बहुत तरह के बेफिजूल की बात।
मुझे ऐसे लोगो से ये जानना है की ये लोग आसमान से टपके है या इसी धरती पर पैदा हुए हैं।अपने से पैदा हुए हैं या किसी माँ के कोख से ही पैदा हुए हैं।ऐसे विचार के लोग न ही अपने परिवार की महिला (माँ,बहन ,बेटी,बहु,अन्य ) के सगे हो सकते हैं ना ही बाहर की महिलावो के।ऐसे लोगो के लिए महिला सिर्फ और सिर्फ वासना की विषय-वस्तु है , उनके पैर की जूती है।
हमने आजतक महिलावों की ओर से तो पुरुषों के बारे में कोई टीका -टिपणी नहीं आयी।चाहे आप घर में नंगे घुमो या कही भी पेशाव करने लगो , ADULT MOVIE देखो ,दारू पीकर सरेआम नौटंकी करो /ABUSE करो।
पहनावा किसी भी इन्सान का निजी मामला है और किसी को बोलने का कोई अधिकार नहीं है। अगर बोलना है तो लड़का लड़की में बिना कोई भेद किये बोलना होगा। फालतू में ठेकेदार बनने की जरुरत नहीं।
TV ,INTERNET सभी इन्सान की भलाई के लिए बने है। ये तो इन्सान के ऊपर है की उसका उपयोग वो कैसे करता है। आग , गैस , पेट्रोल , बिजली , तथा अन्य अविष्कार इन्सान की भलाई के लिए बने है ।ये तो इंसानों के ऊपर की उनका इस्तेमाल वो उर्जा के लिए करते हैं की अपने घर की बहु को जलाने के लिए करते हैं।कुछ लोग SEX-EDUCATION की वकालत करते हैं।ये वो ही लोग हैं जो ये चाहते हैं की महिला का पूरी तरह से भोग की वस्तु बना दी जाये। हमारे CULTURE में माँ-बाप के अलावे अन्य बड़ो को चाहे वो स्त्री-पुरुस कोई भी हो उनके पैर छूकर सम्मान देने की परंपरा है।इस वजह से अभी भी समाज में थोड़ी बहुत DECIPLINE बाकि है।लेकिन ये लोग HI - BYE की SOCIETY DEVELOP करना चाहते हैं।TIME TO TIME ,SEX सर्वे करा कर महिला-पुरुस के निजी और नाजुक मसलो को प्रचारित किया जाता है।इसके कितने परिणाम भयावह हो सकते हैं ,समाज उसे झेल नहीं पायेगा।
आज हकीकत में कोई नहीं चाहता की महिला उत्पीडन बंद हो,बलात्कार बंद हो ,अन्य घटना बंद हो।सिर्फ दिखावा करते हैं।कोई घटना हुई नहीं की CANDLE जला कर निकल पड़े शहर बंद करने।एक उत्पीडन पहले से और बंद के बाद गरीबों की रोजी-रोटी बर्बाद कर दूसरा उत्पीडन। कैंडल जलाया ,थोडा घुमे ,शहर बंद कराया ,टायर जलाये फिर अपने-अपने घरो में जाकर सो गए ताकि फिर कोई बलात्कार,महिला उत्पीडन की घटना हो तो वो CANDLE जलाकर अपना धर्म निभाए।सिर्फ और सिर्फ राजनीति ,MEDIA में फोटो खिचाने ,अपनी थोड़ी पहचान बनाने के लिए ।
सरस्वती पूजा या अन्य पूजा में इतने गंदे -गंदे गाने बजाये जाते हैं ,धर्म की आड में महिला से छेड्छार ,उत्पीडन किया जाता है तब ये सभ्य समाज कहा रहता है।उनका तो MIND SET है | एक लड़का ,लड़की छेड़े तो कुछ नहीं लेकिन लड़की सिर्फ नजर भी उठा दे तो उसके पुरे चरित्र का चित्रण किया जाता है।मुझे तो और भी बहुत कुछ कहना है लेकिन उससे क्या होगा।अब समय है कुछ करने का।मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि # माँ, # स्त्री , # पृथ्वी , # नदी का यदि सम्मान नहीं करोगे तो समाज का अस्तित्व ही मिट जायेगा।शुरुआत हो चुकी है लेकिन नासमझ इन्सान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा।जिस पेड़ के डाल पर बैठा है उसे ही काट रहा है।सिर्फ सोचिये,विचार कीजिये। क्यूकि हमाम में सभी नंगे हैं
रोज हो रहे इस तरह की महिला उत्पीडन की घटनावों से मैं बहुत आहत होता हूँ।लगता है जैसे पुरुसो के द्वारा महिलावो के खिलाफ एक जंग हो रही है।इन्सान की उत्पत्ति जहा से हुई उसे ही मिटाने पर तुला है।
मैं चाहता हूँ की कुछ ऐसा करूँ की महिलावों का सम्मान बढ़ें ,महिला उत्पीडन की घटनावों पर लगाम लगे।मैंने सारी PLANING भी कर राखी है लेकिन FUND की कमी की वजह से उसे IMPLEMENT करने में दिक्कत हो रही है।आज की मतलबी दुनिया में उम्मीद भी किससे करे। सभी अपने ऐसो-आराम जुटाने में व्यस्त हैं।कोई तभी आगे आयेगा जब उनके घर में कोई बड़ी घटना होगी।वो भी आगे आएंगे लेकिन सिर्फ CANDLE जलाने के लिए।
और यदि आप हकीकत में साथ देना चाहते हैं तो पुरे मन से निःसंकोच अपना सहयोग दें।आपसे सहयोग की अपेछा है। यदि मेरे पास अपने इस Project / Plan के लिए फण्ड होता तो शायद मैं किसी से सहयोग नहीं लेता।। बहुत बड़ी बात तो नहीं लेकिन कुछ अच्छा और FAST रिजल्ट तो निकल ही लूँगा।मुझे भी दुनिया छोड़ने के समय शुकून रहेगा की चलो कुछ अच्छा कर के जा रहा हूँ।
Thanks
Regards
Prabhat Ranjan
womenhelp1@gmail.com
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