Saturday, March 8, 2014

WOMEN'S POWER






Nature has given women so much power that the law has very wisely given them little.A woman is the full circle. Within her is the power to create, nurture and transform. A man’s got to do what a man’s got to do. A woman must do what he can’t.   

  WISH YOU ALL A VERY HAPPY  WOMENS DAY

Tuesday, March 4, 2014

स्त्री के विरुद्ध

कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के सुबलपुर गांव में घटी घटना ने हमें वाकई यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं! वहां की पंचायत, यानी सालिसी सभा ने एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार का फरमान सुनाया और उस पर सबके सामने अमल करवाया, क्योंकि वह लड़की दूसरे समुदाय के युवक के साथ प्रेम करती थी। पंचायत के इस मध्ययुगीन फैसले ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया है। यहीं पाकिस्तान की मुख्तारन माई की याद आती है, जिसके साथ वहां की एक कबाइली परिषद ने सामूहिक बलात्कार करने का आदेश दिया था। मामला यह था कि मुख्तारन माई के भाई के ऊंची जाति की एक महिला के साथ कथित प्रेम संबंधों को लेकर परिषद को एतराज था।
ये घटनाएं दर्शाती हैं कि हमारा समाज आज भी उसी मध्ययुगीन काल में जी रहा है। लोग अपने संकीर्ण सोच से बाहर नहीं आ पाए हैं। खुला कहे जाने वाले समाजों में भी अंतरजातीय प्रेम स्वीकार्य नहीं है। इन हालात के रहते आखिर क्यों हम खुद के आधुनिक होने की दुहाई देते हैं, जबकि हमारी सार्वजनिक जीवनशैली में वही पुरानी जड़ताएं शामिल हैं। हम क्यों नहीं बदलते समाज को स्वीकार कर पा रहे हैं? जातिगत भावनाओं से क्यों नहीं उबर पाए हैं? दरअसल, सदियों से चली आ रही परंपराएं ज्यों की त्यों बनी रहें और सामाजिक सत्ताधारी वर्गों का वर्चस्व बना रहे, इसलिए इस तरह की हरकतें आज भी देखने को मिलती हैं।
जब भी इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं तो राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ता है। इस घटना के बाद ममता बनर्जी सरकार पर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया। सही है कि वाम मोर्चे के शासनकाल में भी महिलाओं की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन आज एक महिला मुख्यमंत्री के हाथ में कमान होने के बावजूद पश्चिम बंगाल में महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन-हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। कुछ माह पहले कोलकाता से सटे उत्तर चौबीस परगना जिले के कामदुनी इलाके में एक कॉलेज छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई। ममता बनर्जी जब वहां पहुंचीं तो उन्हें स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद ममता बनर्जी ने उन लोगों को माओवादी और माकपा का एजेंट करार दे दिया। इसी तरह मध्यमग्राम में एक बीस वर्षीय लड़की के साथ अपराधियों ने दो बार सामूहिक बलात्कार किया और बाद में तेईस दिसंबर को जिंदा जला दिया। उत्तर दिनाजपुर के चाकुलिया में भी एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई। ये सारी घटनाएं ममता बनर्जी सरकार के शासन की हकीकत का बयान करती हैं।सच तो यह है कि सरकार चाहे कितना भी दावा कर ले, लेकिन आज भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाएं बढ़ ही रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए नया कानून भी बन गया। इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ ही रही हैं। गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार की उनचास फीसद घटनाएं अठारह वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ हुर्इं, जबकि चौंतीस प्रतिशत घटनाएं अठारह से बीस वर्ष की आयु की लड़कियों के साथ हुर्इं। लेकिन अपराध के आंकड़ों के बरक्स जब हमारे समाज की पंचायत ही सामूहिक बलात्कार जैसी सजा का फरमान सुनाती है तो एक आम इंसान से क्या उम्मीद की जा सकती है! हमें समाज में समानता और समरसता लाने का प्रयास करना चाहिए, न कि जातिगत सोच के साथ समाज को बांटना चाहिए। अंतरजातीय प्रेम कोई बुराई नहीं है, बल्कि आज जरूरत है इसे स्वीकारने की। इसी से हम समाज में एकता का भाव पैदा कर सकते हैं।


MATRIMONIAL RELATION