कैसा मजाक है इस समाज का नारी के साथ कि पहले तो बलात्कारी बलात्कार करता है और फिर यह समाज नारी को इंसाफ दिलाने के बदले बलात्कारी से शादी करने का प्रस्ताव रखता है. ऐसे प्रस्ताव में यह समझ पाना मुश्किल है कि आखिरकार दंडित किसे किया जा रहा है – जिसने बलात्कार किया उसे या फिर जिसके साथ बलात्कार हुआ. ऐसे में एक पुरानी कहावत सच लगने लगती है कि 'एक नारी हमेशा दंडित होगी चाहे उसने गुनाह किया हो या नहीं'.
बलात्कार एक ऐसी पीड़ा है जिससे एक नारी शारीरिक और मानसिक स्तर पर टूट जाती है. जब एक नारी को लगने लगता है कि अब जिन्दगी का साथ छोड़ मौत को गले लगा लेना चाहिए ऐसे में यदि कोई यह कहे कि जिसने आपकी जिन्दगी को इस स्तर पर लाकर खड़ा किया है आप उससे ही जिन्दगी भर का रिश्ता जोड़ लीजिए तो शायद यह एक घटिया मजाक के सिवा कुछ और नहीं है. ऐसे में सवाल यह है कि कैसे एक नारी उस पुरुष के साथ हर रात गुजार सकती है जिसने उसकी जिन्दगी की एक रात को भयानक और डरावना बना दिया हो.जब कोई मर्द एक नारी के साथ बलात्कार करता है तो समाज यह भूल जाता है कि किसने बलात्कार किया. उसे सिर्फ यह याद रहता है कि किसका बलात्कार हुआ है.
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जन्म लेते ही मार डाला
सभी ने एक बात हमेशा गौर की होगी कि पड़ोस या घर में अगर लड़का पैदा हो तो खुशियों की जैसे बहार आ जाती है लेकिन अक्सर देखने में आता है कि लड़कियों के होने पर सब उतने खुश नहीं होते जितने लड़का पैदा होने पर होते हैं. यह हालत गांवों की तरफ अधिक है जहां कई बार तो लड़की के पैदा होते ही या तो उसे मार दिया जाता है या फिर घर के सदस्य उसे गाली दे अपनी मन की आग को शांत कर लेते हैं. लेकिन यह फर्क क्यों? क्या लड़का घरवालों को लड़की से अधिक प्यारा होता है?भारत में कन्या भ्रूण हत्या जैसा पाप काफी समय से समाज पर एक कलंक की तरह लगा हुआ है जो आज शिक्षा के अस्त्र से भी नहीं हट रहा है. "यत्र नार्यस्तु पूजयते, रमन्ते तत्र देवता" अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता का वास होता है, ऐसा शास्त्रों में लिखा है लेकिन विश्वास नहीं होता आज भारतीय समाज में ही इतनी कुरीतियां फैली है जिससे नारी के प्रति अत्याचारों को बढ़ावा मिला है.
जीवन की हर समस्या के लिए देवी की आराधना करने वाला भारतीय समाज कन्या के जन्म को अभिशाप मानता है. लेकिन कन्या भ्रूण हत्या में अगर देखा जाएं तो सबसे बड़ा दोष हिंदू धर्म का भी लगता है जो सिर्फ पुत्र को ही पिता या माता को मुखाग्नि देने का हक देती है और मां बाप के बाद पुत्र को ही वंश आगे बढ़ाने का काम दिया जाता है. हिंदू धर्म में लड़कियों को पिता की चिता में आग लगाने की अनुमति नहीं होती मसलन ज्यादातर लोगों को लगता है कि लड़के न होने से वंश खतरे में पड़ जाएगा. इसके साथ ही समाज में आर्थिक और सामाजिक तौर से जिस तरह समाज का विभाजन हुआ है उसमें भी लड़कियों को काम करने के लिए बाहर निकलने की अधिक आजादी नहीं है. आज भी आप देखेंगे कि लड़कियों के काम करने पर लोगों को बहुत आपत्ति होती है.
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दहेज नाम का एक अभिशाप ऐसा है जो कन्या भ्रूण हत्या के पाप को और फैलाने में सहायक होता है. लड़कियों को अच्छे घर में ब्याहने के लिए लड़की वालों को हमेशा दहेज का डर सताता है और भारत जहां महंगाई और गरीबी इतनी व्याप्त है वहां कैसे कोई गरीब अपने परिवार का पेट पालने के साथ लड़की को दहेज दे सकता है. एक गरीब के लिए दहेज का बोझ इतना अधिक होता है कि वह चाह कर भी अपनी देवी रुपी बेटी को प्यार नहीं दे पाता.
लेकिन यह स्त्री-विरोधी नज़रिया किसी भी रूप में गरीब परिवारों तक ही सीमित नहीं है. भेदभाव के पीछे सांस्कृतिक मान्यताओं एवं सामाजिक नियमों का अधिक हाथ होता है. यदि इस प्रथा को बन्द करनी है तो इन नियमों को ही चुनौती देनी होगी.
कन्या भ्रूण हत्या में पिता और समाज की भागीदारी से ज्यादा चिंता का विषय है इसमें मां की भी भागीदारी. एक मां जो खुद पहले कभी स्त्री होती है, वह कैसे अपने ही अस्तितव को नष्ट कर सकती है और यह भी तब जब वह जानती हो कि वह लड़की भी उसी का अंश है. औरत ही औरत के ऊपर होने वाले अत्याचार की जड़ होती है यह कथन गलत नहीं है. घर में सास द्वारा बहू पर अत्याचार, गर्भ में मां द्वारा बेटी की हत्या और ऐसे ही कई चरण हैं जहां महिलाओं की स्थिति ही शक के घेरे में आ जाती है.
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टीवी देखने के बहाने बच्ची से रेप, लाश कूड़ेदान में
महिलाओं के प्रति अपराधों का गढ़ बनती जा रही दिल्ली में रेप और हत्या का एक और मामला सामने आया है। 10 साल की बच्ची का न सिर्फ रेप किया गया बल्कि उसे पीट-पीट कर मार भी डाला गया। रेप के आरोपी पर बिहार में पहले भी रेप और छेड़छाड़ का केस चल चुका है।
दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली के पुल प्रह्लादपुर इलाके में एक 10 साल की बच्ची का उसके पड़ोसी ने ही रेप किया और फिर मौत के घाट उतार दिया। बच्ची की खून से लथपथ लाश कूड़े के ढेर से मिली।
शनिवार रात को बच्ची की बॉडी बरामद की गई। घर पर मिले खून के निशानों का पीछा करते-करते लोग कूड़े के ढेर के पास पहुंचे जहां बच्ची की लाश मिली। पुलिस ने गोपाल नाम के पड़ोसी को गिरफ्तार कर लिया है जिसने अपना अपराध कबूल कर लिया है।गोपाल मजदूर है। उसने पुलिस को बताया कि जब बच्ची घर पर अकेली थी,तब उसके घर जाकर उसने रेप किया। बच्ची ने जब उसे अपने भाई का नाम लेकर धमकाया (कि वह सारी बात अपने भाई को बता देगी) तो गोपाल ने उसे बेलन मार कर बेहोश कर दिया और खींच कर कूड़ेदान तक ले गया। जहां, उसने पत्थर मारकर उसकी हत्या कर दी और लाश को छुपा दिया।
पुलिस रेप की पुष्टि के लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इतंजार कर रही है। बच्ची बिहार के कटिहार जिले की है और दिन पहले ही दिल्ली इलाज के लिए आई थी। रेलवे कॉलोनी के स्लम में वह अपने भाई के साथ रह रही थी।
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