सुप्रीम कोर्ट ने हाल में दहेज मामलों को लेकर अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पति के परिजनों को सिर्फ इस आधार पर दहेज केस में शामिल नहीं कर लेना चाहिए कि शिकायती ने उनका नाम लिया है या एफआईआर में उनका नाम है।
दहेज कानून के तहत किसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है? दहेज लेना और देना, दोनों ही जुर्म है। 1961 में दहेज निरोधक कानून बनाया गया। 1983 में आईपीसी की धारा-498 ए बनाई गई, जिसके तहत दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करने पर पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
दहेज निरोधक कानून में दहेज लेना और देना, दोनों को जुर्म माना गया है। दहेज निरोधक कानून की धारा-8 कहती है कि दहेज देना और लेना, दोनों संज्ञेय अपराध हैं। दहेज लेने और देने के मामले में धारा-3 के तहत मामला दर्ज हो सकता है और इस धारा के तहत जुर्म साबित होने पर कम से कम 5 साल कैद की सजा का प्रावधान है।
क्या लड़की वालों पर दहेज देने का केस दर्ज हो सकता है? दहेज प्रताड़ना के मामलों में अक्सर शिकायती बयान देते हैं कि लड़के वालों की मांग पूरी करने के लिए शादी में उनकी तरफ से इतना दहेज दिया गया, शादी के लिए इतना खर्च किया गया आदि। सुप्रीम कोर्ट के क्रिमिनल लॉयर डी. बी. गोस्वामी का कहना है कि पुलिस को ऐसे मामलों की छानबीन के दौरान काफी सजग रहने की जरूरत है। अगर रेकॉर्ड में दहेज देने की बात हो तो लड़की पक्ष पर कार्रवाई हो सकती है।
दहेज की मांग करने पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
धारा-4 के मुताबिक दहेज की मांग करना जुर्म है। शादी से पहले अगर वर पक्ष दहेज की मांग करता है, तब भी इस धारा के तहत केस दर्ज हो सकता है। केस साबित होने पर 2 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।
दहेज प्रताड़ना के साथ क्या दूसरी धाराएं भी लगाई जा सकती हैं? 1983 में धारा-498 ए (दहेज प्रताड़ना) और 1986 में धारा-304 बी (दहेज हत्या) का प्रावधान किया गया। शादी के 7 साल के दौरान अगर पत्नी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो जाए और उससे पहले दहेज के लिए उसे प्रताडि़त किया गया हो तो दहेज प्रताड़ना के साथ-साथ दहेज हत्या का भी केस बनता है। इसके अलावा दहेज प्रताड़ना की शिकायत पर पुलिस 498 ए के साथ-साथ धारा-406 (अमानत में खयानत) का भी केस दर्ज करती है। लड़की का स्त्रीधन अगर उसके ससुरालियों ने अपने पास रख लिया है तो अमानत में खयानत का मामला बनता है। स्त्रीधन क्या है और दहेज किसे कहते हैं?शादी के वक्त जो उपहार और जेवर लड़की को दिए गए हों, वे स्त्रीधन कहलाते हैं। इसके अलावा लड़के और लड़की, दोनों को कॉमन यूज के लिए भी जो फर्नीचर, टीवी या दूसरी चीजें दी जाती हैं, वे भी स्त्रीधन के दायरे में रखी जाती हैं। स्त्रीधन पर लड़की का पूरा अधिकार है और इसे दहेज नहीं माना जाता। वहीं शादी के वक्त लड़के को दिए जाने वाले जेवर, कपड़े, गाड़ी, कैश आदि दहेज कहलाता है।
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मां की प्रॉपर्टी के लिए हॉस्पिटल में भिड़े बेटे
साकेत के एक हॉस्पिटल में हार्ट अटैक के बाद भर्ती एक 70 वर्षीय महिला के बेटों में उसके सामने ही प्रॉपर्टी को लेकर जमकर लात-घूंसे चल गए। यही नहीं भाइयों ने हॉस्पिटल में ही एक दूसरे पर पथराव भी कर दिया। इस हंगामें में दो भाई घायल हो गए। सूचना मिलने पर जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो बाकी आरोपी फरार हो गए। दोनों घायल भाइयों ने अपने बाकी भाइयों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में शिकायत दी है।
ऊंचा सद्दीक नगर निवासी 70 वर्षीय कसीरन को सोमवार को हार्ट अटैक के बाद साकेत स्थित एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में इलाज किया जा रहा था। अस्पताल के कर्मचारियों के अनुसार कसीरन की हालत गंभीर होने के बावजूद उनके बेटे प्रॉपर्टी विवाद में उलझे हुए थे। कसीरन के नाम ऊंचा सद्दीक नगर में एक मकान है। जिसकी मौजूदा कीमत करीब 18 लाख है। कसीरन के बेटे साबू और इस्लामुद्दीन का आरोप है कि उनके भाई साजिद, निजामुद्दीन, शमसुद्दीन व हकीमुद्दीन पहले से ही उनकी मां के मकान पर कब्जा करना चाहते थे।उनके मुताबिक मंगलवार को उनके चारों भाइयों ने मां से धोखे से वसीयत के कागज पर साइन कराने की कोशिश की। इसी बात को लेकर भाइयों में हाथापाई शुरू हो गई। दोनों पक्षों की ओर से एक दूसरे पर हमला किया गया। इसी दौरान आपस में पत्थरबाजी भी हुई, जिससे अस्पताल में अफरातफरी मच गई।
अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी, लेकिन जब तक पुलिस वहां पहुंची तब तक सभी आरोपी वहां से फरार हो चुके थे। साबू और इस्लामुददीन ने थाना सिविल लाइंस पहुंच कर बताया कि उनके चार भाइयों ने उन पर अस्पताल परिसर में हमला किया था, जिस कारण वह घायल हो गए हैं। उन्होंने अपने भाइयों के खिलाफ थाने में शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।
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