ये उनसभी महिलावों को समर्पित है जो एक माँ हैं,बहन हैं,बीबी हैं,बेटी हैं,दोस्त हैं,प्रेमिका हैं,सहयोगी हैं तथा अन्य हैं।पुज्नीय हैं।जिस घर में महिला की इज्जत नहीं होती वो घर भी नहीं बचता,खान-दान का नाश हो जाता है । आज जो महिलावों पर अपनी मर्दानगी साबित कर रहें हैं तथा दहेज़ हत्या ,भ्रूण हत्या,बलात्कार,छेड़-छाड़ ,मारपीट तथा अन्य घृणित अपराध करते हैं वो असल में अपनी माँ के कोख को गाली देते हैं ।उनके खून में अवश्य कोई गन्दगी होगी। कब तक सहेंगी।कब तक ....
Saturday, December 27, 2014
Saturday, September 13, 2014
Its enough now
Twenty-year-old Ritu was attacked by her cousin during a dispute over property about two years ago. And sisters Sonam, 22, and Chanchal, 17, had been asleep in their village in the northern state of Uttar Pradesh when acid was poured over them by a group of men who had been harassing them for sexual attention
सुहागरात पर बीवी को किया दोस्तों के हवाले

लव मैरेज करने वाली एक दुल्हन को अपने प्रेमी की असली तस्वीर उस समय देखने को मिली, जब उसने सुहागरात के मौके पर उसे अपने सात दोस्तों के हवाले कर दिया। प्रेमी उसे घर से भगाकर ले गया था। दोनों ने गाजियाबाद के एक मंदिर में शादी की थी। इससे पहले युवती के पिता ने 18 अक्टूबर को औरंगाबाद थाने में तहरीर देकर गांव के ही एक युवक पर बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगाया था। पुलिस तभी से इस प्रेमी जोडे़ की तलाश कर रही थी।
युवती ने बताया कि वह थाना औरंगाबाद क्षेत्र के गांव अशरफपुर की रहने वाली है। वह पिछले 4 साल से गांव के युवक मोनू से बेहद प्यार करती थी। 18 अक्टूबर की रात को प्रेमी की प्लैनिंग के तहत वह घर से ढाई लाख कीमत के सोने-चांदी के गहने लेकर भाग गई। प्रेमी ने गाजियाबाद में किराये पर कमरा ले रखा था।20 अक्टूबर को दोनों ने एक मंदिर में जाकर शादी रचा ली। शादी के बाद जब वह अपने कमरे पर पहुंची तो उसका प्रेमी उसे छोड़कर दोस्तों के साथ शराब पीने चला गया। आरोप है कि देर रात वह अपने सात दोस्तों के साथ आया और उसे दोस्तों के हवाले कर दिया। लड़की का आरोप है कि एक महीने तक बंधक बनाकर उसके साथ सभी आठ आरोपियों ने गैंगरेप किया।
प्यार ठुकराया तो फेक अकाउंट बना पोस्ट कर दीं अश्लील तस्वीरें
प्यार का प्रपोजल ठुकराए जाने पर एक युवक ने ऐसा कदम उठाया कि उसे जेल की हवा खानी पड़ी। बदला लेने के लिए मकसद से युवक उस लड़की के नाम से फेसबुक पर फेक अकाउंट बनाकर अश्लील फोटो पोस्ट कर रहा था।
तलेगांव के रहने वाले भूपेश ने इंजिनियरिंग की एक स्टूडेंट से प्यार का इजहार किया, लेकिन उसने मना कर दिया। इस पर गुस्साए भूपेश ने लड़की से बदला लेने की ठान ली। उसने लड़की के नाम से फेसबुक पर फेक प्रोफाइल बनाकर अश्लील तस्वीरें और मैसेज अपडेट करना शुरू कर दिया।
उधर लड़की सो समझ नहीं आ रहा था कि यह हरकत कौन कर रहा है। आखिरकार लड़की ने पुलिस की मदद ली और साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद साइबर सेल ने फेक आईडी ऑपरेट करने वाले का आईपी अड्रेस ढूंढ निकाला। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की मदद से पुलिस ने रायगढ़ जिले के नवी पोसरी के उस साइबर कैफे पहुंची, जहां से उस आईडी को ऑपरेट किया जाता था। साइबर कैफे में पूछताछ करने पर पता चला कि वहां पर काम करने वाली लड़की का भाई अक्सर वहां आया करता है। उस लड़की का भाई कोई और नहीं बल्कि भूपेश ही था।
तलेगांव के रहने वाले भूपेश ने इंजिनियरिंग की एक स्टूडेंट से प्यार का इजहार किया, लेकिन उसने मना कर दिया। इस पर गुस्साए भूपेश ने लड़की से बदला लेने की ठान ली। उसने लड़की के नाम से फेसबुक पर फेक प्रोफाइल बनाकर अश्लील तस्वीरें और मैसेज अपडेट करना शुरू कर दिया।
उधर लड़की सो समझ नहीं आ रहा था कि यह हरकत कौन कर रहा है। आखिरकार लड़की ने पुलिस की मदद ली और साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद साइबर सेल ने फेक आईडी ऑपरेट करने वाले का आईपी अड्रेस ढूंढ निकाला। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की मदद से पुलिस ने रायगढ़ जिले के नवी पोसरी के उस साइबर कैफे पहुंची, जहां से उस आईडी को ऑपरेट किया जाता था। साइबर कैफे में पूछताछ करने पर पता चला कि वहां पर काम करने वाली लड़की का भाई अक्सर वहां आया करता है। उस लड़की का भाई कोई और नहीं बल्कि भूपेश ही था।
फोन पर प्रेम हुआ था, मिली तो बेहोश हो गई
आजकल इंटरनेट और फोन आदि के माध्यम से अक्सर लोग संपर्क में आते हैं। फोन और दूसरे संचार के माध्यम से वे एक-दूसरे के करीब भी आ जाते हैं, पर अक्सर इसमें ऐसा भी धोखा हो जाता है कि सिवाय अफसोस करने के कुछ नहीं बचता। केरल में कनूर जिले में 23 साल की एक इंजीनियर का मामला भी कुछ ऐसा ही निकला। उसको उस वक्त शॉक लगा जब वह अपने 'प्रेमी' से मिली।
पिछले एक साल से वह फोन पर अपने इस प्रेमी के साथ बातें कर रही थीं। साल भर बाद जब वह अपने इस फोन प्रेमी से मिली तो सारा रोमांस धरा का धरा रह गया और दिल भी टूटा सो अलग। इसलिए कि उनका यह प्रेमी तो 67 साल का निकला।
यह भी तब पता चला जब यह लड़की अपने फोन वाले प्रेमी से मिलने तिरुअनंतपुरम आई। यहां उसे जीवन का सबसे बड़ा शॉक लगा। पुलिस ने बताया कि लड़की काफी देर से उस बस स्टॉप पर टहल रही थीं जहां उसके प्रेमी ने उससे मिलना तय किया हुआ था। जब काफी देर तक वह नहीं आया और लड़की वहां परेशान होकर टहलती रही, तो पुलिस उसे थाने ले आई।थाने में उससे पूछा गया कि वह वहां क्यों टहल रही थी, तब उसने अपना किस्सा बयां किया। लड़की से उसके प्रेमी का मोबाइल नंबर लेकर पुलिस ने उसे थाने बुलाया। वह आया तो उसे देखते ही लड़की बेहोश हो गई। इसलिए कि वह आदमी निकला 67 साल का। इस आदमी ने पुलिस को बताया कि वह तो सिर्फ मनोरंजन के लिए फोन पर बातें किया करता था। उसका इरादा गलत नहीं था। बहरहाल, पुलिस ने लड़की के घरवालों से संपर्क कर उसे वापस उसके घर भेज दिया है।
पिछले एक साल से वह फोन पर अपने इस प्रेमी के साथ बातें कर रही थीं। साल भर बाद जब वह अपने इस फोन प्रेमी से मिली तो सारा रोमांस धरा का धरा रह गया और दिल भी टूटा सो अलग। इसलिए कि उनका यह प्रेमी तो 67 साल का निकला।
यह भी तब पता चला जब यह लड़की अपने फोन वाले प्रेमी से मिलने तिरुअनंतपुरम आई। यहां उसे जीवन का सबसे बड़ा शॉक लगा। पुलिस ने बताया कि लड़की काफी देर से उस बस स्टॉप पर टहल रही थीं जहां उसके प्रेमी ने उससे मिलना तय किया हुआ था। जब काफी देर तक वह नहीं आया और लड़की वहां परेशान होकर टहलती रही, तो पुलिस उसे थाने ले आई।थाने में उससे पूछा गया कि वह वहां क्यों टहल रही थी, तब उसने अपना किस्सा बयां किया। लड़की से उसके प्रेमी का मोबाइल नंबर लेकर पुलिस ने उसे थाने बुलाया। वह आया तो उसे देखते ही लड़की बेहोश हो गई। इसलिए कि वह आदमी निकला 67 साल का। इस आदमी ने पुलिस को बताया कि वह तो सिर्फ मनोरंजन के लिए फोन पर बातें किया करता था। उसका इरादा गलत नहीं था। बहरहाल, पुलिस ने लड़की के घरवालों से संपर्क कर उसे वापस उसके घर भेज दिया है।
Indian teenager, 15, becomes latest gang-rape victim as her body is found near railway track after she protests to village elders over treatment of her father
· Girl, 15, tried to stop village elders from beating her father for unpaid loan
· She disappeared as beating took place and naked body was found next day
· Father has now accused 13 village elders of 'rape, murder and kidnapping'
· Elders previously made her spit on ground and lick it up as mark of shame
An Indian teenager has been gang-raped and murdered in India after protesting against a decision by village elders to beat her father for failing to repay a loan.
The girl, 15, had been threatened with 'dire consequences' by elders in West Bengal state before she disappeared on Monday as her father's sentence was carried out.
Her naked body was found the next day lying next to train tracks in Jalpaiguri district, and police believe she was gang-raped before being murdered.
+2
The naked body of a 15-year-old Indian girl was found next to these train tracks in West Bengal province, India. Her family believe she was raped and killed after trying to stop village elders beating her father Ganesh Prasad, who spotted the body, told NDTV: 'At 8.15am I saw a dead body. I have not seen anything this like before.
'If bodies come under a train, they are in pieces but with clothes on. In this case, only the shoulder was covered by a cloth.'
The girl's family said a village court had previously ordered her to spit on the ground and then lick it up as a mark of shame for defying them.
Her father has now filed a lawsuit for 'rape, murder and kidnapping' against 13 elders, and police have arrested at least two people. The girl's body has been sent for a post-mortem examinationLocal reports suggest the girl could have been targeted because her family vote for the local communist party, while the village elders all belong to the ruling TMC party.
All council elders have denied any involvement in the girl's disappearance or the attack.
Media attention has been focused on sexual violence against women in India since the 2012 gang rape and murder of a student on a Delhi bus. The incident caused widespread protests across the country.
The girl's family say elders had previously ordered her to spit on the ground and then lick it up as a mark of shame for arguing against them (pictured, the girl's clothes scattered along the railway)
The government tightened laws last year after widespread protests following the attack, but a culture of violence against women remains deeply entrenched.
Informal village councils across India wield huge influence, an often take policing of local 'laws' into their own hands, despite many of their actions being illegal.
Conservative traditions – combined with a weak legal system and patchy policing – have allowed many to retain power over communities in rural zones.
Earlier this year a woman was raped by up to 13 men in West Bengal as punishment for a relationship with a local man that was not sanctioned by village elders.
In October last year, another teenager in West Bengal was attacked twice, including one assault on her way back from a police station, and eventually murdered.
Friday, September 12, 2014
Two College Girls Hospitalised After Acid Attack in Madurai
Chennai: Two girls are in hospital in Tamil Nadu's Madurai after a man threw acid on them just outside their college this afternoon.
The incident took place in Thirumangalam, when the girls were walking out of their college after an exam. They are both studying English at the Madurai Kamraj University.
"It happened suddenly. We have not seen the man before," said a student who witnessed the incident.
A police officer said the motive for the attack is not known yet.
"At this point there is no information on the identity of the culprit. We are investigating. We would be able to share more information later this evening," a senior officer said.
Rising number of acid attacks in India led the Supreme Court to issue guidelines last year to restrict its sale.
There have been over 200 reported cases of such attacks on women between 2010 and 2012, according to the National Crime Records Bureau.
Thursday, September 11, 2014
बेटी के साथ अश्लील हरकतें होते देख खोया आपा, लकड़ी से पीटकर की दोस्त की हत्या
बेटी के साथ अश्लील हरकतें होते देख खोया आपा, लकड़ी से पीटकर की दोस्त की हत्या
रांची/लोहरदगा. बुधवार की शाम 4.30 बजे इमरान अंसारी ने अपने
दोस्त फिरोज खान की पीट-पीटकर हत्या कर दी। फिर थाना पहुंचकर घटना की सूचना
दी और फरार हो गया। घटना सदर थाना क्षेत्र में थाना टोली बस्ती में घटी।
फिरोज थाना चौक में जामा मस्जिद से सटे मार्केट कॉॅम्प्लेक्स में होटल
चलाता था। वहीं इमरान की पास में ही किराना दुकान है। पुलिस के अनुसार,
इमरान अंसारी दुकान में अपनी 14 वर्षीय बेटी को बैठाकर कुछ देर के लिए बाहर
निकला। लौटने पर देखा कि उसका दोस्त फिरोज उसकी बेटी के साथ अश्लील हरकत
कर रहा है। इससे वह गुस्से में आ गया और लकड़ी से उसकी बुरी तरह पिटाई करने
लगा। लोग उसे सदर अस्पताल ले गए।
मां से मिलाने छात्रा को घऱ बुलाया, फिर अश्लील MMS बनाकर मोहल्ले में बांटा
रांची. चुटिया थाना क्षेत्र में रहने वाली कॉलेज छात्रा का
एमएमएस बना कर पूरे मोहल्ले में बांटने के आरोप में पुलिस ने बुधवार को
आरोपी समीर साहू को गिरफ्तार कर लिया। समीर सिल्ली थाना क्षेत्र में रहता
है। गोंदा पुलिस ने समीर से पूछताछ की, तो उसने बताया कि एमएमएस सिर्फ उसे
डराने के लिए बनाया। छात्रा ने पुलिस को बताया कि आरोपी ने धोखे से उसका
एमएमएस बना लिया और उससे पैसे की मांग कर रहा था। देने से इंकार कर दिया,
तो आरोपी धमकाने लगा कि वह इंटरनेट पर वीडियो अपलोड कर देगा।
दर्ज प्राथमिकी में छात्रा ने कहा है कि छह माह पहले वह अपने
रिश्तेदार की शादी में सिल्ली गई थी। वहां उसकी दोस्ती समीर से हो गई। इसके
बाद दोनों लगातार बात करने लगे। दस दिन पहले आरोपी अपनी मां से मिलाने के
बहाने छात्रा को अपने घर ले गया। वहां उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया
और एमएमएस भी बना लिया।
मोहल्ले में फैला चुका है एमएमएस
छात्रा के भाई ने बताया कि आरोपी समीप सिल्ली के केशवनगर का रहने वाला
है। केशवनगर के कुछ लोगों ने उसे फोन किया और कहा कि उसकी बहन का वीडियो
उनके मोबाइल
पर आया है। गांव के कई लोगों के पास वीडियो पहुंच गया है। छात्रा के भाई
ने बहन से वीडियो के बारे में पूछा तो छात्रा ने पूरी कहानी बताई। इसके बाद
परिजनों ने उसे पकड़ने की योजना बनाई। भाई ने गांव में कई लोगों से फोन कर
पूछा तो एमएमएस की बात सच निकली। इसके बाद योजना के तहत छात्रा को उसके
बुलाये गए स्थान पर भेजा, जिसके बाद आरोपी को पकड़ा जा सका।
ऐसे पकड़ा गया आरोपी समीर साहू
छात्रा के परिजनों ने बताया कि आरोपी समीर ने बुधवार को पैसा लेकर
सिदो-कान्हू पार्क के पास बुलाया था। छात्रा ने इसकी जानकारी अपने घर वालों
को दी थी। छात्रा पार्क के समीप अकेली खड़ी थी। आरोपी वहां पहुंचा और पैसे
की मांग करने लगा। छात्रा ने पैसे देने से इंकार किया, तो आरोपी छात्रा के
साथ बदसलूकी करने लगा। इसी बीच छात्रा के परिजन मौके पर पहुंच गए और आरोपी
को पकड़ लिया। आरोपी भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मौके पर मौजूद अन्य
लोगों ने उसकी धुनाई शुरू कर दी। आरोपी को पार्क से पीटते-पीटते गोंदा थाना
लाया गया। आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया गया। छात्रा के बयान पर
प्राथमिकी दर्ज की गई है।
रातू में भी छात्रा का एमएमएस बनाया, दो हिरासत में
रातू थाना क्षेत्र में रहने वाली एक कॉलेज छात्रा का अश्लील एमएमएस
बनाये जाने का सनसनीखेज मामला उभर कर सामने आया है। सूत्रों के अनुसार यह
मामला रातू थाना तक पहुंचा है। पुलिस ने पूछताछ के लिए तीन युवकों को
हिरासत में भी लिया है। वैसे रातू के थानेदार गिरीश कुमार अंबष्ठ ने छात्रा
का अश्लील एमएमएस बनाये जाने की बात से साफ इंकार किया है। उनका कहना है
कि ऐसा कोई मामला उनके पास नहीं आया है और न ही किसी युवक को गिरफ्तार किया
गया है। घटना के संबंध में पीड़िता छात्रा के पिता ने बताया है कि एक दिन
उसके घर में मनीष नाम का एक लड़का आया। उसने कहा कि वह उनकी बेटी को बदनाम
कर देगा। उसका अश्लील एमएमएस तैयार कर लिया गया है। एमएमएस में बाथरूम का
सीन दिखाया गया है।
पीड़िता के पिता ने बताया कि मनीष अच्छा लड़का नहीं है। एक दिन वह सिगरेट पी रहा था। वहीं जुआ भी खेल रहा था। इस बात की शिकायत उन्होंने मनीष के पिता से कर दी थी। इस कारण मनीष उनसे बदला लेना चाहता था। इसी वजह से उनकी बेटी को बदनाम करने की नीयत से अश्लील एमएमएस बना लेने की बात कही जा रही है। यह मामला रातू पुलिस को बता दिया गया है। पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है। मनीष के साथ उसके दो दोस्तों को भी हिरासत में लिया गया है।
जब लड़की के मुंह में फंस गया ताला, डॉक्टर ने मुश्किल से निकाला!
युवती के दातों के बीच कड़ी में फंसा ताला।
रांची। 'मुंह में ताला' लगने की बात अब तक कहावतों में ही
सुनने को मिलती थी, लेकिन रांची में यह कहावत सच हो गई। चुटिया में
रहनेवाली बीस वर्षीया युवती अपने मुंह में ताला लटकाये गुरुनानक अस्पताल
पहुंची तो डॉक्टर भी चौंक गए। देखने वाले लोगों ने यही समझा कि परिवार के
लोगों ने चुप रखने के लिए युवती के मुंह में ताला लगा दिया है और वह किसी
तरह भागकर यहां पहुंची है, लेकिन मामला तो कुछ और ही था।
दर्द से कराहते हुए युवती ने डॉक्टर को बताया कि उसके बक्से में लगे
ताले की चाबी कहीं खो गयी थी। ताला खुल नहीं रहा था। तब उसने अपने दांतों
से बक्से की कड़ी को तोड़ने की कोशिश की। इसी कोशिश मेें कड़ी ताला सहित उखड़
कर युवती के दांतों में फंस गयी। काफी कोशिश के बाद भी ताला नहीं निकला, तो
वह एक लोहार के पास ताला निकलवाने गयी। लोहार ने युवती को बताया कि ताला
के साथ दांत भी टूट कर बाहर निकल जायेगा। तब युवती गुरुनानक अस्पताल
पहुंची, जहां डेंटिस्ट डॉ ओमप्रकाश ने उसके मुंह से ताला निकाला। राहत की
बात है कि युवती को कोई खास नुकसान नहीं हुआ, उसके दांत भी स्वस्थ हैं।
अब सब ठीक है : डॉ ओम प्रकाश
युवती के दांत में फंसे ताले को निकालने वाले डॉ ओम प्रकाश ने बताया कि काफी सोच-विचार कर ताला निकालने का फैसला लिया गया। पहले तो तय किया गया कि ऑपरेशन किया जाए, लेकिन उसकी नौबत नहीं आयी। थोड़ी परेशानी तो हुई, लेकिन युवती के दर्द को देखते हुए उसका जबड़ा सुन्न कर दांत से ताला और बक्से की कड़ी को सही-सलामत निकाल लिया गया। अब युवती बिल्कुल ठीक है। एक सप्ताह के बाद उसे दुबारा चेकअप करने के लिए बुलाया गया है।
Wednesday, September 10, 2014
Woman Allegedly Gang-Raped by 10 Men, Including Husband, Made to Drink Urine
Bhilai Borkhedi village, Madhya Pradesh: The horrific crimes against women just refuse to cease. a tribal woman was allegedly gang-raped by 10 men, including her husband, in Madhya Pradesh's Bhilai Borkhedi village. She was also allegedly made to drink urine and paraded semi-naked in the village.
A few months ago, the woman and her husband had a dispute over a piece of land, following which he allegedly attacked her with an axe. The woman registered a complaint with the police and then moved into her parents' house in another village along with her 10-year-old son.
On Tuesday night, the woman's husband allegedly asked her to meet him in their village to reach a "compromise" in the axe attack case.
When the woman and her son reached their husband's village, they were allegedly tied up and locked in a store room by the husband and nine other men.
The woman was then allegedly thrashed and gang-raped.
She has also alleged that when she pleaded for some water, the accused urinated on her and made her drink it. They then paraded the woman in the village in a semi-nude state.
The woman was rescued by her relatives on Thursday after they found out that she was locked in the store room. She has been admitted to a hospital and her condition is now said to be stable.
All the 10 accused have been arrested and booked for gang-rape and assault. "According to the woman she was gang-raped and kept captive in her husband's house for three days...
The husband has denied the gang-rape charges. "I only slapped her and beat her with sticks," he said.
The case is the latest in a string of horrific sexual crimes against women that have been reported this month.
Nearly 13,000 women raped in Assam in eight years
Nearly 13,000 women have been raped in the last eight years in Assam, official sources said.
State Home Department officials said 12,857 women were raped between 2005 and May 2013 and 59 of them were killed after rape.
Of the 8,181 cases filed against rape, 76 per cent of them were acted upon with 12,216 people arrested for committing the crime, the officials said.
The reasons for increase in crimes against women were attributed to rising population, social and family tension, gender discrimination, poverty, lack of job opportunity and insufficient manpower in the law enforcement agencies.
Atrocity against women were not only limited to rape, it also included torture for dowry which claimed the lives of 1,069 women in the state.
A total of 1,671 persons were arrested for cases related to dowry torture and death, they said.
Another 66 women became victims of witch hunting and 408 persons were arrested in the 55 cases registered against such crimes.
Meanwhile, officials said that due to various preventive measures and awareness programmes undertaken by the government, the incidences of witch-hunting deaths have come down to 14 in 2012 from 29 the previous year.
Thousands of women have been abducted in the previous years. Of the 19,902 cases of women abduction registered, 14,488 were related to marriage.
A total of 9,032 people were arrested on abduction charge and 113 of them were jailed for the crime, the officials said.
The officials said many kidnappings happen for marriage and most of them end in reconciliation or compromise at a later stage, officials said.
For instance, of the 3,764 kidnapping cases reported in 2011, 2,715 (70 per cent) were of this nature, they said.
Of the total 14,285 persons arrested during the eight years, 1,729 were convicted by courts, while trial of the rest was on, sources said.
Thirty Women Cells were created and operationalised under the state Chief Minister's Vision 2016 in all the district police stations with adequate number of sanctioned posts of women police personnel.
Capacity building of police personnel has been done through in house and specialised agencies, while senior officers were directed to closely supervise all such cases for effective results and visible action, the officials said.
State Home Department officials said 12,857 women were raped between 2005 and May 2013 and 59 of them were killed after rape.
Of the 8,181 cases filed against rape, 76 per cent of them were acted upon with 12,216 people arrested for committing the crime, the officials said.
The reasons for increase in crimes against women were attributed to rising population, social and family tension, gender discrimination, poverty, lack of job opportunity and insufficient manpower in the law enforcement agencies.
Atrocity against women were not only limited to rape, it also included torture for dowry which claimed the lives of 1,069 women in the state.
A total of 1,671 persons were arrested for cases related to dowry torture and death, they said.
Another 66 women became victims of witch hunting and 408 persons were arrested in the 55 cases registered against such crimes.
Meanwhile, officials said that due to various preventive measures and awareness programmes undertaken by the government, the incidences of witch-hunting deaths have come down to 14 in 2012 from 29 the previous year.
Thousands of women have been abducted in the previous years. Of the 19,902 cases of women abduction registered, 14,488 were related to marriage.
A total of 9,032 people were arrested on abduction charge and 113 of them were jailed for the crime, the officials said.
The officials said many kidnappings happen for marriage and most of them end in reconciliation or compromise at a later stage, officials said.
For instance, of the 3,764 kidnapping cases reported in 2011, 2,715 (70 per cent) were of this nature, they said.
Of the total 14,285 persons arrested during the eight years, 1,729 were convicted by courts, while trial of the rest was on, sources said.
Thirty Women Cells were created and operationalised under the state Chief Minister's Vision 2016 in all the district police stations with adequate number of sanctioned posts of women police personnel.
Capacity building of police personnel has been done through in house and specialised agencies, while senior officers were directed to closely supervise all such cases for effective results and visible action, the officials said.
Crimes Against Women up in Six North East States; Assam Tops List
Crimes against women in six of the eight Northeastern states increased significantly in the last year compared to the year before as Assam led the list, although Manipur and Mizoram registered a downward trend.
At the all-India level, Assam remains in the seventh place, like in the previous year. The list is headed by Andhra Pradesh, followed by Uttar Pradesh, West Bengal, Rajasthan, Maharashtra and Madhya Pradesh, the National Crime Records Bureau said in its Crime in India, 2013, report.
West Bengal, which reported the highest rate of crime against women in 2012, has been relegated to third place in 2013, behind Andhra Pradesh and Uttar Pradesh.
Reported instances of crimes against women in Assam jumped to 17,449 in 2013 as against 13,544 the previous year.
In Tripura, between 2013 and the previous year, it had risen to 1,628 from 1,559 while Meghalaya saw a jump to 343 from 255. In Arunachal Pradesh, it was up from 201 to 288, in Sikkim to 93 from 68 and in Nagaland to 67 from 51.
Manipur and Mizoram, however, recorded a slide in crimes against women with the incident rate in the former falling to 285 from 304 while the latter saw it drop from 199 to 177.
Assam heads the list for all recorded crimes against women, including rape, kidnapping and abduction, dowry deaths and cruelty by husband and his relatives.
The state reported 1,937 incidents of rape in 2013 as against 1,716 the previous year. It was followed by Tripura, which saw 233 such cases as against 229 in 2012.
In Meghalaya, the number of rape cases increased to 183 from 164, in Arunachal Pradesh to 75 from 46, in Manipur to 72 from 63, in Sikkim to 43 from 34 and in Nagaland to 31 from 21.
Mizoram was the only state in the region which witnessed a drop in rape case, with such incidents coming down to 89 from 103 the year before.
In crimes related to kidnapping and abduction, Assam's rate increased significantly to 4,222 from 3,360 while in Tripura it went from 114 to 124.
Among other states to register an increase were Arunachal Pradesh (from 58 to 86), Meghalaya (from 24 to 33), Sikkim (from 10 to 16) and Nagaland (from 10 to 11).
Manipur recorded a downward trend in kidnapping and abduction with a drop to 125 from 133 the previous year while in Mizoram it decreased from three to two.
As to dowry deaths, it was Assam again which led the list with 170 deaths reported over 140 the previous year. Tripura saw a decline here -- to 29 from 37 -- while in Meghalaya it increased to two from one. Nagaland, which reported no dowry deaths in the earlier years, saw one incident.
Neither Arunachal Pradesh nor Sikkim reported any dowry deaths in 2013 although, in the previous year, both states had a case each.
In Manipur and Mizoram, no dowry deaths were reported in either year.
Assam also recorded the highest incidence of 8,636 cases of cruelty by husband and his relatives towards women, which was up from 6,407 the previous year.
In Tripura, incidents of cruelty came down from 858 to 827 last year, in Manipur it was down from 43 to 29 and in Mizoram from eight to five.
Incidents of cruelty increased from 26 to 29 in Arunachal Pradesh and went from 16 to 23 in Meghalaya. In Sikkim, the jump was from four to five while, in Nagaland, four cases were reported as against none the previous year.
At the all-India level, Assam remains in the seventh place, like in the previous year. The list is headed by Andhra Pradesh, followed by Uttar Pradesh, West Bengal, Rajasthan, Maharashtra and Madhya Pradesh, the National Crime Records Bureau said in its Crime in India, 2013, report.
West Bengal, which reported the highest rate of crime against women in 2012, has been relegated to third place in 2013, behind Andhra Pradesh and Uttar Pradesh.
Reported instances of crimes against women in Assam jumped to 17,449 in 2013 as against 13,544 the previous year.
In Tripura, between 2013 and the previous year, it had risen to 1,628 from 1,559 while Meghalaya saw a jump to 343 from 255. In Arunachal Pradesh, it was up from 201 to 288, in Sikkim to 93 from 68 and in Nagaland to 67 from 51.
Manipur and Mizoram, however, recorded a slide in crimes against women with the incident rate in the former falling to 285 from 304 while the latter saw it drop from 199 to 177.
Assam heads the list for all recorded crimes against women, including rape, kidnapping and abduction, dowry deaths and cruelty by husband and his relatives.
The state reported 1,937 incidents of rape in 2013 as against 1,716 the previous year. It was followed by Tripura, which saw 233 such cases as against 229 in 2012.
In Meghalaya, the number of rape cases increased to 183 from 164, in Arunachal Pradesh to 75 from 46, in Manipur to 72 from 63, in Sikkim to 43 from 34 and in Nagaland to 31 from 21.
Mizoram was the only state in the region which witnessed a drop in rape case, with such incidents coming down to 89 from 103 the year before.
In crimes related to kidnapping and abduction, Assam's rate increased significantly to 4,222 from 3,360 while in Tripura it went from 114 to 124.
Among other states to register an increase were Arunachal Pradesh (from 58 to 86), Meghalaya (from 24 to 33), Sikkim (from 10 to 16) and Nagaland (from 10 to 11).
Manipur recorded a downward trend in kidnapping and abduction with a drop to 125 from 133 the previous year while in Mizoram it decreased from three to two.
As to dowry deaths, it was Assam again which led the list with 170 deaths reported over 140 the previous year. Tripura saw a decline here -- to 29 from 37 -- while in Meghalaya it increased to two from one. Nagaland, which reported no dowry deaths in the earlier years, saw one incident.
Neither Arunachal Pradesh nor Sikkim reported any dowry deaths in 2013 although, in the previous year, both states had a case each.
In Manipur and Mizoram, no dowry deaths were reported in either year.
Assam also recorded the highest incidence of 8,636 cases of cruelty by husband and his relatives towards women, which was up from 6,407 the previous year.
In Tripura, incidents of cruelty came down from 858 to 827 last year, in Manipur it was down from 43 to 29 and in Mizoram from eight to five.
Incidents of cruelty increased from 26 to 29 in Arunachal Pradesh and went from 16 to 23 in Meghalaya. In Sikkim, the jump was from four to five while, in Nagaland, four cases were reported as against none the previous year.
Saturday, March 8, 2014
Tuesday, March 4, 2014
स्त्री के विरुद्ध
कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के सुबलपुर गांव में घटी घटना ने हमें वाकई यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं! वहां की पंचायत, यानी सालिसी सभा ने एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार का फरमान सुनाया और उस पर सबके सामने अमल करवाया, क्योंकि वह लड़की दूसरे समुदाय के युवक के साथ प्रेम करती थी। पंचायत के इस मध्ययुगीन फैसले ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया है। यहीं पाकिस्तान की मुख्तारन माई की याद आती है, जिसके साथ वहां की एक कबाइली परिषद ने सामूहिक बलात्कार करने का आदेश दिया था। मामला यह था कि मुख्तारन माई के भाई के ऊंची जाति की एक महिला के साथ कथित प्रेम संबंधों को लेकर परिषद को एतराज था।
ये घटनाएं दर्शाती हैं कि हमारा समाज आज भी उसी मध्ययुगीन काल में जी रहा है। लोग अपने संकीर्ण सोच से बाहर नहीं आ पाए हैं। खुला कहे जाने वाले समाजों में भी अंतरजातीय प्रेम स्वीकार्य नहीं है। इन हालात के रहते आखिर क्यों हम खुद के आधुनिक होने की दुहाई देते हैं, जबकि हमारी सार्वजनिक जीवनशैली में वही पुरानी जड़ताएं शामिल हैं। हम क्यों नहीं बदलते समाज को स्वीकार कर पा रहे हैं? जातिगत भावनाओं से क्यों नहीं उबर पाए हैं? दरअसल, सदियों से चली आ रही परंपराएं ज्यों की त्यों बनी रहें और सामाजिक सत्ताधारी वर्गों का वर्चस्व बना रहे, इसलिए इस तरह की हरकतें आज भी देखने को मिलती हैं।
जब भी इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं तो राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ता है। इस घटना के बाद ममता बनर्जी सरकार पर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया। सही है कि वाम मोर्चे के शासनकाल में भी महिलाओं की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन आज एक महिला मुख्यमंत्री के हाथ में कमान होने के बावजूद पश्चिम बंगाल में महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन-हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। कुछ माह पहले कोलकाता से सटे उत्तर चौबीस परगना जिले के कामदुनी इलाके में एक कॉलेज छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई। ममता बनर्जी जब वहां पहुंचीं तो उन्हें स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद ममता बनर्जी ने उन लोगों को माओवादी और माकपा का एजेंट करार दे दिया। इसी तरह मध्यमग्राम में एक बीस वर्षीय लड़की के साथ अपराधियों ने दो बार सामूहिक बलात्कार किया और बाद में तेईस दिसंबर को जिंदा जला दिया। उत्तर दिनाजपुर के चाकुलिया में भी एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई। ये सारी घटनाएं ममता बनर्जी सरकार के शासन की हकीकत का बयान करती हैं।सच तो यह है कि सरकार चाहे कितना भी दावा कर ले, लेकिन आज भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाएं बढ़ ही रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए नया कानून भी बन गया। इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ ही रही हैं। गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार की उनचास फीसद घटनाएं अठारह वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ हुर्इं, जबकि चौंतीस प्रतिशत घटनाएं अठारह से बीस वर्ष की आयु की लड़कियों के साथ हुर्इं। लेकिन अपराध के आंकड़ों के बरक्स जब हमारे समाज की पंचायत ही सामूहिक बलात्कार जैसी सजा का फरमान सुनाती है तो एक आम इंसान से क्या उम्मीद की जा सकती है! हमें समाज में समानता और समरसता लाने का प्रयास करना चाहिए, न कि जातिगत सोच के साथ समाज को बांटना चाहिए। अंतरजातीय प्रेम कोई बुराई नहीं है, बल्कि आज जरूरत है इसे स्वीकारने की। इसी से हम समाज में एकता का भाव पैदा कर सकते हैं।
Thursday, February 27, 2014
अनीमिया से बचाएं खुद को
अनीमिया एक साधरण-सी लगने वाली बीमारी है। बॉडी में आयरन की कमी को हम आम बात समझकर इस पर खास ध्यान नहीं देते। हमारी यही लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है।
क्या है अनीमिया हमारे शरीर के सेल्स को जिंदा रहने के लिए ऑक्सिजन की जरूरत होती है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सिजन रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) में मौजूद हीमोग्लोबिन पहुंचाता है। आयरन की कमी और दूसरी वजहों से रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा जब शरीर में कम हो जाती है, तो उस स्थिति को अनीमिया कहते हैं। आरबीसी और हीमोग्लोबिन की कमी से सेल्स को ऑक्सिजन नहीं मिल पाती। कार्बोहाइड्रेट और फैट को जलाकर एनर्जी पैदा करने के लिए ऑक्सिजन जरूरी है। ऑक्सीजन की कमी से हमारे शरीर और दिमाग के काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है।
कितनी तरह का अनीमिया
अनीमिया खून की सबसे सामान्य समस्या है। हमारे देश में आयरन की कमी से होने वाला अनीमिया सबसे ज्यादा पाया जाता है। करीब 90 पर्सेंट लोगों में यही अनीमिया होता है, खासकर महिलाओं और बच्चों में।
यह तीन तरह का होता है:
1. माइल्ड - अगर बॉडी में हीमोग्लोबिन 10 से 11 g/dL के आसपास हो तो इसे माइल्ड अनीमिया कहते हैं। इसमें हेल्थी और बैलेंस्ड डाइट खाने की सलाह के अलावा आयरन सप्लिमेंट्स दिए जाते हैं।
2. मॉडरेट - अगर हीमोग्लोबिन 8 से 9 g/dL होगा तो इसे मॉडरेट अनीमिया कहेंगे। इसमें डाइट के साथ-साथ इंजेक्शंस भी देने पड़ सकते हैं।
3. सीवियर - हीमोग्लोबिन अगर 8 g/dL से कम हो तो सीवियर अनीमिया कहलाता है, जो एक गंभीर स्थिति होती है। इसमें मरीज की हालत की गंभीरता को देखते हुए ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है।
क्या हैं कारण - आयरन, विटामिन सी, विटामिन बी 12, प्रोटीन या फॉलिक एसिड की कमी - हेमरेज या लगातार खून बहने से खून की मात्रा कम हो जाना - ब्लड सेल्स का बहुत ज्यादा मात्रा में नष्ट हो जाना या बनने में कमी आ जाना - पेट में कीड़े (राउंड वॉर्म और हुक वॉर्म) होना - लंबी बीमारी जैसे कि पाइल्स आदि, जिनमें खून का लॉस होता हो - पीरियड्स में बुहत ज्यादा ब्लीडिंग - ल्यूकिमिया, थैलीसीमिया आदि की फैमिली हिस्ट्री है, तो 50 फीसदी तक चांस बढ़ जाते हैं - जंक फूड ज्यादा खाने से - एक्सर्साइज़ न करने से - प्रेगनेंट महिलाओं का हेल्दी डाइट न लेना
किन्हें खतरा ज्यादा - किडनी, डायबीटीज, बवासीर, हर्निया और दिल के मरीजों को - शाकाहारी लोगों को - प्रेगनेंट या स्मोकिंग करनेवाली महिलाओं को नोट : पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि इससे शरीर में आयरन तेजी से कम हो जाता है।
लक्षण - कमजोरी, थकान और चिड़चिड़ापन - किसी भी काम में मन या ध्यान न लगना - दिल की धड़कन नॉर्मल न होना - सांस उखड़ना और चक्कर आना - छोटे-छोटे कामों में भी थकान महसूस होना - आंखें, जीभ, स्किन और होंठ पीले पड़ना
नोट : ये सामान्य लक्षण हैं, लेकिन यह स्थिति लगातार बनी रहे तो कई गंभीर लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। ऐसे ही लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हो सकते हैं।
गंभीर लक्षण - सिर, छाती या पैरों में दर्द होना - जीभ में जलन होना, मुंह और गला सूखना - मुंह के कोनों पर छाले हो जाना - बालों का कमजोर होकर टूटना - निगलने में तकलीफ होना - स्किन, नाखून और मसूड़ों का पीला पड़ जाना - अनीमिया लगातार बना रहे तो डिप्रेशन का रूप ले लेता है
नोट : महिलाओं, पुरुषों और बच्चों में अनीमिया के लक्षण एक जैसे ही होते हैं।
कितना हो हीमोग्लोबिन और आरसीबी महिला - 11 से 16 g/dL के बीच, 4.5 सीएनएम पुरुष - 11 से 18 g/dL के बीच, 4.5 सीएनएम
ऐसे करें पहचान - अनीमिया के शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य होते हैं। मरीज अपनी समस्या पहचान नहीं पाता। डॉक्टर को कमजोरी आदि की शिकायत करता है तो टेस्ट कराए जाते हैं। - इसके लिए कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) किया जाता है। इसमें रेड ब्लड सेल और हीमोग्लोबिन का लेवल जांचा जाता है। साल में एक बार यह टेस्ट करा लेना चाहिए।
खानपान पर ध्यान जरूरी - आयरन की डिमांड पूरी करने के लिए हमें हेल्थी और बैलेंस्ड डाइट खानी चाहिए। तीनों मील्स के अलावा दो स्नैक्स भी खाएं और खाने में अंडे, साबुत अनाज, सूखे मेवे, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा मात्रा में हों। - आयरन से भरपूर चीजें खाएं। जिन चीजों में ज्यादा आयरन होता है, उन्हें नीचे घटते क्रम में दिया गया है। यानी सबसे ज्यादा आयरन वाली चीजें पहले और कम वाली उसके बाद :
फल : खुमानी, अंजीर, केला, अनार, अन्नास, सेब, अमरूद, अंगूर आदि
सब्जियां : पालक, मेथी, सरसों, बथुआ, धनिया, पुदीना, चुकंदर, बीन्स, गाजर, टमाटर आदि
ड्राई फ्रूट्स : बादाम, मुनक्का, खजूर, किशमिश आदि
दूसरी चीजें : गुड़, सोयाबीन, मोठ, अंकुरित दालें, दूसरी दालें खासकर मसूर दाल, चना, गेंहू, मूंग आदि
फास्ट फूड और लाइफस्टाइल का रोल अहम अगर हम अपने खाने में बैलेंस्ड डाइट तो ले रहे हैं लेकिन जंक फूड ज्यादा खाते हैं तो भी बॉडी में आयरन की कमी हो जाती है। जंक फूड में फायदेमंद प्रोटीन, आयरन आदि नहीं होते। इसके अलावा अगर हमारा लाइफस्टाइल सही नहीं हैं यानी हम दिन भर खाते तो ज्यादा हैं लेकिन उस हिसाब से शारीरिक मेहनत नहीं करते, तो भी अनीमिक होने का चांस रहता है।
लंबा होता है इलाज- अनीमिया को ठीक होने में कुछ महीनों से लेकर कई बार बरसों लग जाते हैं। आयरन की कमी से होनेवाला अनीमिया इलाज करने पर दो से तीन महीने में ठीक हो जाता है।
ऐलॉपथी इसमें सबसे पहले मरीज की जांच कर यह पता लगाया जाता है कि मरीज को किस तरह का अनीमिया है और उसकी गंभीरता कितनी है। इसके बाद इलाज शुरू किया जाता है। अगर अनीमिया का कारण पेट में कीड़े होना है तो डीवॉर्मिंग के लिए दवा दी जाती है। अगर खान-पान सही न होने की वजह से अनीमिया है तो मरीज को हेल्थी डाइट बताई जाती है।
होम्यॉपैथी अगर हेल्थी फूड खाने के बाद भी बॉडी में आयरन नहीं बन रहा हो तो ये दवाएं ले सकते हैं : फेरम मेटालिकम 3x(Ferrum Metallicum 3x), 5-5 गोली दिन में तीन बार नैट्रम मर 30 (Natrum Mur 30), 5-5 गोली दिन में तीन बार फेरम फॉस 6x (Ferrum Phos 6x), 4-4 गोली दिन में चार बार कैल्केरिया फॉस 6x (Calcarea Phos 6x), 4-4 गोली दिन में चार बार
आयुर्वेद लोहासव, द्राक्षासव और अश्वगंधारिष्ट, तीनों के दो-दो छोटे चम्मच आधे गिलास सादा पानी में मिलाकर लें। खाना खाने के बाद सुबह-रात एक से तीन महीने तक लें। नोट : एलोपैथ, होम्योपैथ और आयुर्वेद में बताई गई दवाओं का सेवन डॉक्टर से सलाह लेकर ही करें।
घरेलू नुस्खे- टमाटर, गाजर और चुकंदर को बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास जूस लें और उसमें चौथाई चम्मच काली मिर्च पाउडर डालकर सुबह नाश्ते के बाद एक महीने तक पिएं। दो मुट्ठी भुने चने और आधा मुट्ठी गुड़ रोजाना ब्रेकफास्ट में खाएं। इसे सुबह की चाय के साथ भी खा सकते हैं। 4 खजूर एक गिलास दूध के साथ सुबह नाश्ते में लें।
योग योग में अनीमिया के इलाज के लिए हाजमा ठीक करने पर जोर दिया जाता है। योग में माना जाता है कि अगर हमारा पाचन तंत्र सही रहेगा तो हमें कभी भी अनीमिया नहीं होगा। अगर किसी को अनीमिया हो गया हो तो उसे नीचे लिखे योगासन रोजाना करने चाहिए : उत्तानपादासन, कटिचक्रासन, पवन मुक्तासन, भुजंगासन, मंडूक आसन, अर्धमस्त्येंद्र क्रिया। साथ ही, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रस्रिका और शीतकारी प्राणायाम करें। सर्दियों में शीतकारी प्राणायाम न करें। इन सभी का रोजाना सुबह उठकर खाली पेट 20 से 25 मिनट तक अभ्यास करें। अगर सुबह जल्दी नहीं उठ पाते हों तो डिनर से एक घंटा पहले और लंच के चार घंटे बाद इन्हें करें। अगर हम रोजाना इनका अभ्यास करें तो हमारा पाचन तंत्र सही रहेगा और हमें अनीमिया होगा ही नहीं। जिन्हें हाई बीपी (80/120 से ज्यादा) रहता हो या जिनकी बाईपास सर्जरी हुई हो, उन्हें यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।
नोट : योग की इन क्रियाओं को किसी अच्छे योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
आयरन की गोली खाते वक्त रखें ख्याल आयरन की गोली कभी भी खाली पेट न खाएं गोली को चबाकर न खाएं गोली खाने के साथ एक गिलास पानी जरूर पिएं बीमार होने पर गोली खाना बंद न करें बिना डॉक्टरी सलाह के खुद आयरन की गोली या सिरप न लें।
नोट : आयरन की कड़ाही में खाना पकाने से खाने में आयरन बढ़ जाएगा, यह पूरी तरह मिथ है। ऐसा करने से खाने में आयरन की मात्रा बढ़ती नहीं है।
उत्पीड़न की शिकार महिला की मौत के तीन महीनें बाद जागा प्रसाशन
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने यौन उत्पीड़न की शिकार युवती की मौत मामले में ओडिशा सरकार को आठ सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. यह जानकारी एक याचिकाकर्ता ने बुधवार को दी.
कार्यकर्ता मनोज जेना और अखंड की याचिका पर एनएचआरसी ने मृतक के परिवार को पांच लाख रुपये की अंतरिम मदद देने का भी आदेश सरकार को दिया है.
अखंड ने कहा कि रायगढ़ जिले के तिकिरी शहर के सरकारी आवासीय स्कूल में 27 वर्षीय इतिश्री प्रधान पर किरासन तेल छिड़क कर आग लगा दी गई थी, जिसके चार दिन बाद एक नवंबर को विशाखापट्टनम में उसकी मौत हो गई थी.
पीड़िता ने 18 जुलाई को पुलिस को सूचित किया था कि इलाके का उप निरीक्षक नेत्रनंद दंडसेना ने उसके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत को वापस न लेने पर धमकी दी है.
अखंड ने बताया कि पुलिस ने प्रधान की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद उसने जिलाधिकारी, राज्य पुलिस प्रमुख, मुख्यमंत्री और राज्य महिला आयोग से गुहार लगाई थी.
दंडसेना के कथित यौन उत्पीड़न से बचने के लिए उसने स्थानांतरण की भी मांग की थी. हालांकि, न तो उप निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई हुई और न ही उसके बचाव के लिए कोई आया.
घटना वाले दिन प्रधान बच्चों के साथ टेलीविजन देख रही थी तभी दंडसेना कथित रूप से स्कूल के कमरे में दाखिल हुआ और किरासन तेल छिड़क कर आग लगा दी, 90 फीसदी जल चुकी प्रधान की एक नवंबर को मौत हो गई.
मानवाधिकार संस्था ने मृतक के परिवार को सरकार की तरफ से अंतरिम राहत न मिलने की खबर पर नाराजरी जाहिर की है.
एनएचआरसी ने न सिर्फ आठ सप्ताह के अंदर जांच पूरी किए जाने की मांग की है, बल्कि राज्य पुलिस महानिदेशक को निर्धारित समय के अंदर जांच के अंतिम परिणाम भी पेश करने के निर्देश दिए हैं.
आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और राज्य सरकार को पीड़िता को अंतरिम राहत दिए जाने के सबूत आठ सप्ताह के अंदर भेजे जाने के भी आदेश दिए हैं.
इधर, राज्य सरकार का कहना है कि इसने स्कूल के जिला निरीक्षक, जांच कर रहे पुलिस अधिकारी और दारोगा को निलंबित कर दिया है.
'मां का दूध पीने वाले बच्चे होते हैं पढ़ाई में अच्छे'
जो बच्चे मां का दूध पीते हैं, वे ज्यादा तेज दिमाग होते हैं. मां के दूध में कोई ऐसा छुपा गुण होता है, जिससे बच्चे कुशाग्र हो जाते हैं. मां का दूध बच्चे के लिए सबसे पौष्टिक भोजन होता है यह बात तो हमें पता है लेकिन मां के दूध में छुपे गुणों के कारण उनके कुशाग्र होने की बात एक ताजातरीन अध्ययन में कही गई है.
अध्ययन के मुताबिक ऐसे बच्चे स्कूल में आमतौर पर दूसरों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन करते हैं.
अभी तक शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया था कि जो बच्चे मां का दूध पीकर बड़े होते हैं, वे बुद्धि परीक्षण में अच्छा प्रदर्शन करते हैं.
ऐसा क्यों हैं, इसका पता नहीं लगाया जा सका था. लेकिन अब ताजा अध्ययन में समाजशास्त्रियों ने बच्चों की परवरिश में दो मुख्य बातों का जिक्र किया है, एक तो बच्चे के भावनात्मक संकेतो पर प्रतिक्रिया देना और दूसरा नौ महीने की उम्र से बच्चे को विभिन्न पठन सामग्रियां पढ़ कर सुनाना.
उताह की ब्रिंघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रमुख अध्ययनकर्ता बेन गिब्स ने कहा, "अपने बच्चे को दुग्धपान कराने वाली महिलाएं दोनों चीजें करती हैं. यह बच्चे की परवरिश का ही नतीजा है, जो उसे दूसरों से अलग बनाता है."
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में यह भी पाया कि बच्चों के दब्बू और कमजोर होने का कारण बचपन में अनुकूल परवरिश न होना भी हो सकता है.
Monday, February 24, 2014
ज्यादा उम्र में गर्भधारण मां और बेटी के लिए जानलेवा
ज्यादा उम्र में गर्भधारण यानी स्तन कैंसर को न्यौता। यहकोई कोरी कल्पना नहीं बल्कि शोध के नतीजे हैं। ताजा शोधसे यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं ज्यादा उम्र मेंगर्भवती होती हैं उनमें पांच गुना स्तन कैंसर का खतरा बढ़जाता है। साथ ही पैदा होने वाली बेटी में भी यह खतराबढ़ जाता है। खतरे का सबसे बड़ा कारण स्तन का घनत्व
उभरकर सामने आया है।
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बालिकाओं के प्रति यह कैसी सोच
कन्या शिशुओं की हत्या भारत के लिए कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले कई सालों में यह अपराध एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने बालिका शिशु के लिए भारत को सबसे घातक देशों में रखा है। कन्या शिशु की जन्म के एक वर्ष के भीतर या तो जहरीला पदार्थ खिलाकर मार डालते हैं अथवा गर्भ में पल रहे भ्रूण के बालिका होने की जानकारी होने पर उसे गर्भ में ही मार दिया जाता है। एक सास को जब पता चलता है की उसकी बहू के गर्भ में पल रहा शिशु बालिका है तो वह बहू पर गर्भपात करने के लिए दबाव डालती है। ऐसी घटनाएं न ही काल्पनिक हैं और न ही कभी-कभार घटने वाली घटनाएं हैं। ऐसी घटनाएं आएदिन होती रहती हैं यह अलग बात है कि इस तरफ किसी का ध्यान शायद ही कभी जाता है। इस तरह हम बालिका शिशु के जीने का अधिकार छीन रहे हैं या तो उन्हें इस दुनिया का दर्शन करने के पहले ही मार दिया जाता है और नहीं तो उन्हें जन्म के तुरंत बाद हमेशा के लिए सुला दिया जाता है। यह एक क्रूर सच्चाई है कि बालिका शिशु को जीवित रहने का बुनियादी हक तक नहीं है। मनुष्यों में विशेषकर भारतीयों में बेटों को वरीयता देने की एक पुरानी और विसंगत परंपरा है। बेटे संपति हैं और बेटियां कर्ज। भारतीय परंपरा में हम सिर्फ संपति चाहते हैं, कर्ज नहीं। यह कैसी क्रूर स्थिति है जिसमें हम जी रहे हैं। आखिर बालिकाओं के प्रति यह घातक भेदभाव क्यों है? क्या यह अज्ञानता के चलते है अथवा ऐसा लालची होने के कारण है। इसका एक उत्तर पैसा है। हमारी परंपरा में बहुत सी बुराइयां हैं लड़कियों के लिए लड़कों का चयन रुपये और धन के आधार पर किया जाता है। रुपया और धन यानी दहेज ही सबसे बड़ा दुश्मन है जो हमारी बालिकाओं की हत्या के लिए जिम्मेदार है।
वर्तमान वैश्वीकरण के युग में भी लड़कियां माता पिता पर बोझ हैं, क्योंकि उनके विवाह के लिए महंगा दहेज देना होता है। दहेज प्रणाली एक ऐसी सांस्कृतिक परंपरा है जो सबसे बड़ा कारण है बालिकाओं की हत्या के लिए। हम सिर्फ लड़के और लड़कों को ही वरीयता देते हैं। भारत में यह एक ऐसी सांस्कृतिक परंपरा है जिसे कोई भी कानून शायद ही खत्म कर सके। वर्ष 1985से लाखों बालिकाएं इस पवित्र भूमि से गायब हैं। इन आंकड़ों की सच्चाई जानने के बाद भी हमारा दिल नहीं पिघलता। आखिर यह मौन क्यों है और क्या हमारा दिल पत्थर हो गया है। शायद यह एक सच्चाई बन गया है। आखिर उन लाखों लड़कियों की गलती क्या है और क्या उन्हें इस दुनिया में जीने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। यह वह देश है जहां कभी एक महिला प्रधानमंत्री थी और आज एक महिला राष्ट्रपति हंै और कुछ राज्यों में महिलाएं मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं, लेकिन बावजूद इसके हमारे देश में महिलाएं उपेक्षित हैं। लड़कों को वरीयता देने की पुरानी परंपरा बदस्तूर जारी है तथा जन्म के पहले शिशु के लिंग का परिक्षण के कारण देश में लड़का-लड़की का अनुपात पूरी तरह गड़बड़ा गया है। दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां लिंगानुपात एकदम असंतुलित है। वर्ष 2011की जनगणना के आंकड़ों में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है। 35राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में से 28में लड़के और लड़कियों के अनुपात में भारी अंतर है।
हरियाणा और पंजाब ऐसे जुड़वें राज्य हैं जहां बालिका शिशु को नफरत से देखने की प्रवृत्ति एकदम ऊंचाई पर है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस समृद्ध राज्य में आज 15 से 45 उम्र के 36 फीसदी लोग अविवाहित ेंहैं। इसी के चलते इन दोनों राज्यों में अविवाहित पुरुषों के आंकडे़ समाज के संतुलन को बिगाड़ रह हैं। पंजाब में आज भी लगातार हो रही कन्या भ्रूण हत्या के चलते यह अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। दुर्भाग्य से पंजाब में समृद्ध,शिक्षित और शहरी क्षेत्रों में रहने वालों की संख्या काफी है। 2006के राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण से पता चलता है कि पंजाब में आई समृद्धि ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2001 में जहां प्रति 1000 पुरुष की तुलना में 793 महिलाएं थीं वहीं वर्ष 2006 में यह घटकर 776 हो गया। शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात घटकर 761तक पहुंच गया है। सस्ते और अनियंत्रित तकनीकी विकास के चलते कन्या भ्रूण की हत्या लगातार बढ़ रही है। विशेष कर उच्च और मध्यम वर्ग के लोगों में इसके चलते कुछ एक दिन पहले पैदा हुई नवजात बालिकाओं को झाडि़यों, सार्वजनिक शौचालयों, बगीचों और कचरे के डिब्बों में फेंक दिया जाता है। यह सब इसलिए है, क्योंकि कोई भी बिना बेटे के नहीं रहना चाहता है। इससे जुड़ा कोई भी कानून इसे रोक पाने में फिलहाल समर्थ नहीं दिख रहा। इस मामले में महाराष्ट्र भी पीछे नहीं है। यहां भी वर्ष 1961 से लगातार महिलाओं का औसत घटा है। वर्ष 1962 में जहां प्रति 1000 पुरुष के पीछे महज 936 महिलाएं थीं वहीं वर्ष 2001 में 922 तथा 2011 में 883 महिलाएं रह गई हैं। यह निम्नतम लिंगानुपात न सिर्फ झोपड़-पट्टियों और कम आय वर्ग वालों के बीच है, बल्कि समृद्ध लोगों में भी है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र और बीड़ जिले में सबसे कम लिंगानुपात है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बीड़ जिले में तो शून्य से 6 वर्ष की आयु वाले बालक- बालिकाओं का लिंगानुपात 100 के मुकाबले 801 है जो महाराष्ट्र में सर्वाधिक है। यही औसत पूरे राज्य में 1000 की तुलना में 833 का है।
वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक भारत में पुरुषों की तुलना में 40 लाख महिलाएं कम हैं। यह अंतर लिंग परीक्षण का परिणाम है और प्रत्येक माह देश भर में 50 हजार से अधिक कन्या भ्रूण का गर्भपात किया जाता है और न जाने कितने ही लड़कियों की या तो हत्या कर दी जाती है अथवा उन्हें लावारिस छोड़ दिया जाता है। कन्या भ्रूण के गर्भपात की बढ़ती दर का पता आंशिक रूप से अल्ट्रासाउंड सेवा देने वाले क्लीनिक की बढ़ती संख्या से लगाया जा सकता है। भारत में लिंग परीक्षण तथा लिंग के आधार पर होने वाला गर्भपात दोनों ही अपराध है, लेकिन इस पर कानूनी कार्रवाई बहुत ही कम हो पाती है। यह सिर्फ गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चियों पर ही मंडराता खतरा नहीं है, बल्कि इसका असर अकेले पड़ते पुरुषों के विवाह की समस्या तक जा पहुंचा है। इस वजह से कितने ही परिवार अपने बेटों के लिए ब्लैक मार्केट से दुल्हन खरीदते हैं जो आगे चलकर मानव तस्करी को बढ़ावा देने का काम करते हैं। हरियाणा में अल्ट्रासाउंड के जरिये शिशु के लिंग का पता लगाने का प्रचलन जोरों पर है। यहां की सरकार इससे पूरी तरह वाकिफ भी है, लेकिन उसके प्रति उदासीन है। हरियाणा में लड़की दुर्लभ और अवांछित चीज है। भारत के लगभग सभी राज्यों में कुछ ऐसा ही हाल है। यह लड़कियों की जानबूझकर संख्या घटाने का परिणाम है। आश्चर्य की बात यह है कि पंजाब के तमाम अनाथालयों में 70 फीसदी से अधिक लड़कियां ऐसी हैं जो अपने परिवार द्वारा त्याग दी गई हैं।
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स्त्री-पुरुष में कहां है बराबरी
आजकल स्त्री पुरुष की बराबरी की बात बहुत की जाती है। कहा जाता है कि युवा पीढ़ी ने, खासकर शहरी युवाओं ने पुरानी मान्यताओं और रूढि़यों को काफी पीछे छोड़ दिया है। अब नौजवान अपनी पत्नी या गर्ल फ्रेंड को न सिर्फ अपने बराबर समझते हैं बल्कि उनकी तरक्की देखकर खुश होते हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। लेकिन अगर गौर से देखे तो कुछ मामलों में स्थिति जस की तस है। इसका प्रमाण मुझे कुछ दिनों पहले हुई एक घटना से मिला।
मेरी एक छब्बीस वर्षीय सहेली के बॉयफ्रेंड को सहेली के एक दोस्त ने अपने भाई की शादी पर बुलाया। बहुत बुलाने पर वह मेरी सहेली के साथ चला तो गया लेकिन शादी में पूरे समय अनमना रहा। उसके अनुसार, उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह अपनी गर्लफ्रेंड का बॉडीगार्ड बनकर शादी में आया है। वहां वह अपनी गर्लफ्रेंड के अलावा किसी को नहीं जानता था। जबकि मेरी सहेली का कहना था कि वह उसे जानता है, यही बहुत है। जब उसके बॉयफ्रेंड के किसी दोस्त की शादी होती है तो वह भी तो बिना सवाल जवाब किए वहां चली जाती है। जबकि ऐसी शादियों में उसकी भी यही स्थिति होती है। वह भी उन शादियों में वह अपने बॉयफ्रेंड के अलावा किसी को नहीं जानती। लेकिन वह वहां खुद को इस तरह अनमना सा महसूस नहीं करती। और अगर करती भी है तो जाहिर नहीं होने देती। फिर वह क्यों ऐसा कर रहा था? इस पर उसका जवाब बहुत अजीब था- उसका कहना था कि तुम लड़की हो। तुम्हें मेरे दोस्तों के यहां जाने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए, लेकिन मैं एक लड़का हूं इसलिए तुम्हारे साथ तुम्हारे दोस्तों के यहां जाने में कंफर्टेबल महसूस नहीं करता। मेरी सहेली ने उससे पूछा कि क्या तुम शादी के बाद भी ऐसा ही सोचोगे? उसका जवाब था- शादी के बाद तो तुम मेरी जिम्मेदारी हो जाओगी। इसलिए तब की बात अलग है। मैंने कई बार ऐसा भी देखा है कि अगर किसी एकल परिवार में कोई दोस्त या रिश्तेदार अपने यहां किसी समारोह में निमंत्रण देने के लिए फोन करे और वह पत्नी रिसीव कर ले तो कई पुरुषों को ऐसा लगता है कि हमें तो आमंत्रित किया ही नहीं गया। खासकर तब जब निमंत्रण पत्नी के मायके की तरफ के रिश्तेदार या दोस्त की तरफ से हो। जबकि पत्नी पर ये बात कतई लागू नहीं होती। पति को निमंत्रित करने पर वह भी स्वत: निमंत्रित हो जाती है और कभी इस बात को इशू नहीं बनाती। दरअसल हम कितनी भी तरक्की कर लें, लेकिन पुरुष का दंभ कहीं न कहीं अपना सिर उठा ही लेता है। शायद इसके पीछे पुरुष के खुद को सर्वेसर्वा समझने की वही पुरातन सोच है जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक से दूसरे पुरुष में अनजाने में ही आ जाती है। ------------------------------------------------------------------ |
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