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उम्रकैद के साथ शादी भी खत्म!
नई दिल्ली। अपनी तरह के एक अनोखे मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा पाए व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने पत्नी द्वारा तलाक मांगे जाने को अवैध ठहराने की मांग की थी। दरअसल, पत्नी का कहना है कि जब पति को उम्र जेल में ही काटनी है, तो उसके साथ जिंदगी बिताने का मतलब ही नहीं बनता।
न्यायाधीश के एल मंजूनाथ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जब एक व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है तो कानूनन वह अपनी पत्नी के साथ कभी नहीं रह सकता है और न ही वह उसे खुशी दे सकता है। इसमें पत्नी का कोई दोष नहीं है। पति की उम्रकैद के कारण वह जिंदगी भर दुखी नहीं रह सकती।
कोर्ट ने बेल्लारी की जेल में बंद चित्रदुर्ग जिले के रहने वाले गणेश की याचिका खारिज कर दी। दरअसल, गणेश ने सिमोगा जिले के परिवार अदालत द्वारा 18 जुलाई 2011 के उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उसकी पत्नी को क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक का मुकदमा दायर करने की अनुमति दी गई थी।
ये है पूरा मामला
चित्रदुर्ग के सरकारी कॉलेज में अध्यापक गणेश ने 1999 में विजया से शादी की थी। शादी के छह महीने के बाद विजया को पता चला कि गणेश पर हत्या का मुकदमा चल रहा है। हालांकि गणेश ने अपने आपको बेकसूर बताया। बाद में दम्पति को एक संतान हुई। वर्ष 2000 में जिला अदालत ने गणेश को दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुना दी। राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में अपील करने पर उसकी सजा उम्रकैद में बदल दी गई। जमानत पर बाहर आने पर वह अपनी पत्नी को परेशान करने लगा। बाद में उसकी सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। इस पर विजया ने तलाक का मुकदमा दायर कर दिया।
नई दिल्ली। अपनी तरह के एक अनोखे मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा पाए व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने पत्नी द्वारा तलाक मांगे जाने को अवैध ठहराने की मांग की थी। दरअसल, पत्नी का कहना है कि जब पति को उम्र जेल में ही काटनी है, तो उसके साथ जिंदगी बिताने का मतलब ही नहीं बनता।
न्यायाधीश के एल मंजूनाथ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जब एक व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है तो कानूनन वह अपनी पत्नी के साथ कभी नहीं रह सकता है और न ही वह उसे खुशी दे सकता है। इसमें पत्नी का कोई दोष नहीं है। पति की उम्रकैद के कारण वह जिंदगी भर दुखी नहीं रह सकती।
कोर्ट ने बेल्लारी की जेल में बंद चित्रदुर्ग जिले के रहने वाले गणेश की याचिका खारिज कर दी। दरअसल, गणेश ने सिमोगा जिले के परिवार अदालत द्वारा 18 जुलाई 2011 के उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उसकी पत्नी को क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक का मुकदमा दायर करने की अनुमति दी गई थी।
ये है पूरा मामला
चित्रदुर्ग के सरकारी कॉलेज में अध्यापक गणेश ने 1999 में विजया से शादी की थी। शादी के छह महीने के बाद विजया को पता चला कि गणेश पर हत्या का मुकदमा चल रहा है। हालांकि गणेश ने अपने आपको बेकसूर बताया। बाद में दम्पति को एक संतान हुई। वर्ष 2000 में जिला अदालत ने गणेश को दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुना दी। राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में अपील करने पर उसकी सजा उम्रकैद में बदल दी गई। जमानत पर बाहर आने पर वह अपनी पत्नी को परेशान करने लगा। बाद में उसकी सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। इस पर विजया ने तलाक का मुकदमा दायर कर दिया।
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रेप के बाद मांग रहा था 20 हजार मंथली
एनआईटी थाना एरिया के पॉश सेक्टर में रहने वाले एक अधिकारी की पत्नी से रेप का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि घर पर दूध देने वाला युवक रिवॉल्वर के बल पर महीनों तक महिला से दुष्कर्म करता रहा। आरोपी ने बच्चों और महिला के पति को जान से मार देने की धमकी देकर तीन लाख रुपये व एक प्लॉट भी हड़प लिया। इसके बाद वह अधिकारी की पत्नी पर 20 हजार रुपये प्रति माह देने के लिए दबाव बना रहा था। पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। फिलहाल पुलिस आरोपी को अरेस्ट नहीं कर सकी है।
एनआईटी एरिया में सेंट्रल गवर्नमेंट के अधिकारी राजाराम (सभी नाम परिवर्तित हैं) अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। राजाराम की पत्नी कामना देवी ने पुलिस को बताया कि डबुआ कॉलोनी में रहने वाला सुरेश उनके घर दूध देने आता था। आरोप है कि एक दिन जब वह दूध लेकर घर में जा रही थी तो सुरेश अंदर आ गया और कमरे की कुंडी बंद कर दी। इसके बाद रिवॉल्वर के बल पर रेप किया। घटना के बारे में किसी को बताने पर पति व बच्चों का उठा ले जाने की धमकी दी। उस दिन के बाद भी उसने कई बार रेप किया।
कामना का कहना है कि 19 अगस्त 2011 को सुरेश उनके घर पर आया और कहा कि मैंने तेरे बच्चों को उठा लिया है, 5 लाख रुपये दो नहीं तो बच्चों को मार दूंगा। कई बार मिन्नत करने पर वह 3 लाख रुपये में मान गया। कामना ने बैंक से रुपये निकलवाकर दे दिया। इसके बाद भी वह नहीं माना और जब भी कामना को घर पर अकेला पाता वह रेप करता रहा। इसके बाद वह और पैसे की मांगने लगा। 15 नवंबर 2011 को सुरेश उसके घर आया और कहा कि डबुआ कॉलोनी में जो तुम्हारा प्लॉट है वह उसकी पत्नी के नाम कर दो, नहीं तो मैं तुम्हें जान से मार दूंगा। उसके बाद सुरेश कार में बैठाकर उसे ले गया और प्लॉट को अपनी पत्नी के नाम करवा लिया। इसके बाद सुरेश पति को जान से मारने की धमकी देते हुए हर माह 20 हजार रुपये की मांग करने लगा। 19 मार्च को सुरेश ने कहा कि 20 हजार रुपये दो तुम्हारे पास केवल चार दिन का समय है। सुरेश की धमकियां से तंग आ चुकी कामना ने अपने परिवार को जानकारी देने के साथ पुलिस को बताया। पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है।
एनआईटी एरिया में सेंट्रल गवर्नमेंट के अधिकारी राजाराम (सभी नाम परिवर्तित हैं) अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। राजाराम की पत्नी कामना देवी ने पुलिस को बताया कि डबुआ कॉलोनी में रहने वाला सुरेश उनके घर दूध देने आता था। आरोप है कि एक दिन जब वह दूध लेकर घर में जा रही थी तो सुरेश अंदर आ गया और कमरे की कुंडी बंद कर दी। इसके बाद रिवॉल्वर के बल पर रेप किया। घटना के बारे में किसी को बताने पर पति व बच्चों का उठा ले जाने की धमकी दी। उस दिन के बाद भी उसने कई बार रेप किया।
कामना का कहना है कि 19 अगस्त 2011 को सुरेश उनके घर पर आया और कहा कि मैंने तेरे बच्चों को उठा लिया है, 5 लाख रुपये दो नहीं तो बच्चों को मार दूंगा। कई बार मिन्नत करने पर वह 3 लाख रुपये में मान गया। कामना ने बैंक से रुपये निकलवाकर दे दिया। इसके बाद भी वह नहीं माना और जब भी कामना को घर पर अकेला पाता वह रेप करता रहा। इसके बाद वह और पैसे की मांगने लगा। 15 नवंबर 2011 को सुरेश उसके घर आया और कहा कि डबुआ कॉलोनी में जो तुम्हारा प्लॉट है वह उसकी पत्नी के नाम कर दो, नहीं तो मैं तुम्हें जान से मार दूंगा। उसके बाद सुरेश कार में बैठाकर उसे ले गया और प्लॉट को अपनी पत्नी के नाम करवा लिया। इसके बाद सुरेश पति को जान से मारने की धमकी देते हुए हर माह 20 हजार रुपये की मांग करने लगा। 19 मार्च को सुरेश ने कहा कि 20 हजार रुपये दो तुम्हारे पास केवल चार दिन का समय है। सुरेश की धमकियां से तंग आ चुकी कामना ने अपने परिवार को जानकारी देने के साथ पुलिस को बताया। पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है।
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बच्चों के लिए 75 दिनों तक पैर ऊपर कर लेटी रही मां
बच्चे को जन्म देने के लिए हर मां उसे नौ महीने तक कोख में रखती है, लेकिन पोलैंड की एक महिला ने अपने जुड़वा बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए कठोर तपस्या की। यह महिला अपने बच्चों के सुरक्षित जन्म के लिए 75 दिनों तक अपनी टांगों को ऊपर की ओर करके लेटी रही।
व्रोकला की रहने वाली जुआना कर्जइस्तोनेक को एक साथ तीन बच्चे होने थे, लेकिन गर्भवती होने के पांच महीने बाद उसे ऑपरेशन के लिए अस्पताल लाया गया। जब डॉक्टर ऑपरेशन के दौरान पहले बच्चे की जान नहीं बचा सके, तो उन्होंने यह पता चलाने के लिए शेष दो बच्चे जिंदा हैं या नहीं ऑपरेशन को बीच में ही रोक दिया।
डॉक्टरों ने जुआना को बताया कि अगर वह इसी तरह और दोनों टांगों को ऊपर की ओर करके लेटी रहे, तो ही उसके पास अपने दोनों अजन्मे बच्चों की जान बचाने का मौका है। बातचीत के बाद जुआना ने डॉक्टरों की सलाह मानने का फैसला किया और 75 दिनों के बाद 'आईगा' और 'आईगनेसी' नाम के जुड़वा बच्चों को जन्म दिया।
व्रोकला में जुआना ने प्रोफेसर मेरियूसेज जिम्मेर की निगरानी में बच्चों को जन्म दिया। जिम्मेर ने बताया कि जुआना ने जोखिम उठाया और अपने महान समर्पण की बदौलत दो स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। जन्म के बाद खुशी में डुबी मां ने कहा कि यह केवल तीन महीनों के लिए था।
गैंगरेप के बाद नाबालिग को जिंदा जलाया
लखनऊ। यूपी में औरतों और बçच्चयों के खिलाफ अपराध की घटनाएं रूकने का नाम नहीं रही हैं। गाजीपुर जिले में एक नाबालिग से गैंगरेप के बाद जिंदा जलाने का मामला सामने आया है। वहीं कुशीनगर में एक स्कूली छात्रा से यौन शोषण की वारदात सामने आई है।
गाजीपुर जिले के रईसपुर गांव में तीन युवकों ने एक नाबालिग से गैंगरेप किया। बाद में पकड़े जाने के डर से उसे जिंदा जला दिया गया। गंभीर रूप से झुलसी बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया,जहां उसकी मौत हो गई। घटना के बाद से तीनों आरोपी फरार है। पुलिस इसे खुदकुशी का मामला बता रही है। पीडिता आठवीं क्लास में पढ़ती थी।
लखनऊ। यूपी में औरतों और बçच्चयों के खिलाफ अपराध की घटनाएं रूकने का नाम नहीं रही हैं। गाजीपुर जिले में एक नाबालिग से गैंगरेप के बाद जिंदा जलाने का मामला सामने आया है। वहीं कुशीनगर में एक स्कूली छात्रा से यौन शोषण की वारदात सामने आई है।
गाजीपुर जिले के रईसपुर गांव में तीन युवकों ने एक नाबालिग से गैंगरेप किया। बाद में पकड़े जाने के डर से उसे जिंदा जला दिया गया। गंभीर रूप से झुलसी बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया,जहां उसकी मौत हो गई। घटना के बाद से तीनों आरोपी फरार है। पुलिस इसे खुदकुशी का मामला बता रही है। पीडिता आठवीं क्लास में पढ़ती थी।
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सबसे ताकतवर के साथ
स्वभाव से डरपोक। वह चाहती थी कि उसकी दोस्ती सबसे ताकतवर के साथ हो जाए, जिससे उसे किसी से डर नहीं लगे। उसकी नजर में शेर सबसे ताकतवर था। वह शेर के पास चली गई। वह किसी तरह शेर से दोस्ती गांठ कर उसके साथ रहने लगी। काफी दिनों के बाद जंगल में घूमता हुआ एक हाथी शेर के सामने आ गया। शेर उससे लड़ने लगा। अंतत: हाथी ने शेर को मार दिया।
बिल्ली सोचने लगी- यह हाथी तो शेर से भी अधिक ताकतवर है। क्यों न वह हाथी से ही दोस्ती कर ले। इस तरह हाथी से दोस्ती कर वह उसके साथ रहने लगी। बिल्ली हाथी के साथ बहुत दिनों तक रही। एक दिन एक शिकारी कहीं से आया और उसने हाथी को पकड़ कर बेच दिया। बिल्ली को हाथी के जाने का दुख तो हुआ लेकिन उस दिन उसे लगा कि आदमी हाथी से भी ज्यादा ताकतवर होता है।
वह शिकारी के साथ उसके घर चली आई। घर पहुंचने पर शिकारी की पत्नी बाहर निकली और उसने शिकारी से उसकी बंदूक ले ली। इस पर बिल्ली सोचने लगी कि यह औरत तो शिकारी से भी अधिक ताकतवर है। इसके पास शिकारी से ज्यादा ताकत है तभी तो इसके सामने उतना खतरनाक शिकारी कुछ बोल भी नहीं पाया। तब बिल्ली ने तय किया कि वह इस औरत के साथ ही रहेगी। वह उस औरत के पीछे-पीछे रसोई में चली गई। कहा जाता है कि औरतों को सबसे ताकतवर मानकर ही तब से बिल्लियां रसोई में या उसके आस-पास रहती चली आ रही हैं।
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बिल्ली सोचने लगी- यह हाथी तो शेर से भी अधिक ताकतवर है। क्यों न वह हाथी से ही दोस्ती कर ले। इस तरह हाथी से दोस्ती कर वह उसके साथ रहने लगी। बिल्ली हाथी के साथ बहुत दिनों तक रही। एक दिन एक शिकारी कहीं से आया और उसने हाथी को पकड़ कर बेच दिया। बिल्ली को हाथी के जाने का दुख तो हुआ लेकिन उस दिन उसे लगा कि आदमी हाथी से भी ज्यादा ताकतवर होता है।
वह शिकारी के साथ उसके घर चली आई। घर पहुंचने पर शिकारी की पत्नी बाहर निकली और उसने शिकारी से उसकी बंदूक ले ली। इस पर बिल्ली सोचने लगी कि यह औरत तो शिकारी से भी अधिक ताकतवर है। इसके पास शिकारी से ज्यादा ताकत है तभी तो इसके सामने उतना खतरनाक शिकारी कुछ बोल भी नहीं पाया। तब बिल्ली ने तय किया कि वह इस औरत के साथ ही रहेगी। वह उस औरत के पीछे-पीछे रसोई में चली गई। कहा जाता है कि औरतों को सबसे ताकतवर मानकर ही तब से बिल्लियां रसोई में या उसके आस-पास रहती चली आ रही हैं।
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दलाल कैसे कर देते हैं मासूमों के घर वापसी का रास्ता बंद
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र में पिछले एक साल में 14000 से भी ज्यादा लोग लापता हो गए हैं। यह आंकड़ा पिछले महीने गृह राज्यमंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में दिया है।
कोलकाता से सुंदरबन के इस इलाके में पहुंचने के लिए रोड से दो घंटे का सफर करना पड़ता है और फिर नाव का सहारा लेना पड़ता है। यहां पर एक गांव संदेशखली आपका तमाम मुसीबतों के साथ स्वागत करने को तैयार है। यहां लोगों एक तरफ बाघों के हमले से दो-चार होना पड़ता है वहीं गरीबी ने मानव तस्करी की ओर ढकेल दिया है।
लापता लोगों में आठ हजार से भी ज्यादा लड़कियां शामिल हैं और साढ़े पांच हजार पुरुष भी परिवार को छोड़ लापता बताए जा रहे हैं। मानव तस्करी करने वाले दलालों के लिए संदेशखली इलाका काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस गांव को शायद ही एक भी ऐसा होगा जहां एक मजबूर मां अपनी लापता बेटी का इंतजार न कर रही हो।
तमाम समस्याओं से घिरे इस संदेशखली गांव को 'ऐला' नाम के तूफान ने वर्ष 2009 में काफी नुकसान पहुंचाया था। सालों से यहां गरीबी ने पांव पसार रखे हैं। हालात यह है कि मां को ममता का गला घोंट कर अपने बच्चों को सैकड़ों मील दूर काम करने के लिए भेजना पड़ता है।
एनडीटीवी के किशलय भट्टाचार्य ने जब इलाके का दौरा किया तब एक 16 वर्षीय लापता बच्ची की मां ने बताया कि छह वर्ष पहले उसे हैदराबाद में एक नौकरी के वादे पर ले जाया गया था। दलाल ने परिवार को बताया था कि लड़की के वेतन का कुछ हिस्सा हर महीने उन्हें दिया जाएगा। लेकिन एक बार बच्ची क्या गई आज तक न तो बच्ची की कोई खबर है और न ही दलाल द्वारा किए गए वादे को कभी पूरा किया गया।
एक छप्पर के छोटे से घर में रह रही इस मां का कहना है कि एक साल के वादे के साथ बच्ची को लेकर गए थे लेकिन हर साल दुर्गा पूजा, काली पूजा आई मगर बच्ची कभी वापस नहीं आई। इस मां के पास दो लड़कियों के साथ चार बच्चे हैं और इनकी मासिक आय मात्र एक हजार रुपये हैं। इसी से इस बाद का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब अगली बार दलाल आएगा तब भी यह दुखियारी उसे मना नहीं कर पाएगी।
ऐसा नहीं कि गांव में कोई भी चला जाएगा और काम करके निकल जाएगा। यहां, मानव तस्करी करने वालों का एक सरगना भी है जिसे हरी के नाम से गांव वाले जानते हैं। यह हरी लड़कियों के मंडियों तक पहुंचाने वालों और शहरों में नौकर के काम दिलाने वाली एजेंसियों के बीच कड़ी का काम करता है।
जब एनडीटीवी ने हरी इस बारे में जानना चाहा तो उसे न केवल धमकी दी बल्कि कैमरा छीनने का प्रयास भी किया। हरी नजदीक शहर में लड़कियां बेच देता है। यहां से शहर तक पहुंचने में लड़कियों तमाम हाथों से गुजरना पड़ता है। जो लड़कियां चकलाघर तक नहीं पहुंचती वह किसी नौकर सप्लाई करने वाली एजेंसी पर पहुंच जाती है।
इस तरह की लड़कियों के व्यापार में शामिल एजेंसी इस बात को पक्का कर लेती हैं कि उन्हें समय पर काम का पैसा मिल जाए लेकिन वेतन के असली हकदार तक मेहनताना कभी नहीं पहुंचता। ऐसे हालातों में फंसी लड़कियों के लिए अपने घरों तक की वापसी का रास्ता लगभग बंद ही रहता है। ऐसे में एक आम आदमी की जिंदगी इन्हें कैसे मिले यह तो भगवान भी नहीं बता सकता है।
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि हर जिले में मानव तस्करी के विरोध में ईकाइयां तैयार की जाएं। पश्चिम बंगाल में तीन साल पहले इस पर अमल करने का काम शुरू किया गया। हर यूनिट में पांच सदस्य के साथ कैमरा, सेलफोन और एक गाड़ी की व्यवस्था होनी चाहिए। इस तरह की ईकाई की जरूरत तब सबसे पहले महसूस की गई जब वर्ष 2006 में मानवाधिकार आयोग द्वारा यह रिपोर्ट पेश की गई कि देश में हर साल 45 हजार बच्चे लापता हो जाते हैं।
कोलकाता से सुंदरबन के इस इलाके में पहुंचने के लिए रोड से दो घंटे का सफर करना पड़ता है और फिर नाव का सहारा लेना पड़ता है। यहां पर एक गांव संदेशखली आपका तमाम मुसीबतों के साथ स्वागत करने को तैयार है। यहां लोगों एक तरफ बाघों के हमले से दो-चार होना पड़ता है वहीं गरीबी ने मानव तस्करी की ओर ढकेल दिया है।
लापता लोगों में आठ हजार से भी ज्यादा लड़कियां शामिल हैं और साढ़े पांच हजार पुरुष भी परिवार को छोड़ लापता बताए जा रहे हैं। मानव तस्करी करने वाले दलालों के लिए संदेशखली इलाका काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस गांव को शायद ही एक भी ऐसा होगा जहां एक मजबूर मां अपनी लापता बेटी का इंतजार न कर रही हो।
तमाम समस्याओं से घिरे इस संदेशखली गांव को 'ऐला' नाम के तूफान ने वर्ष 2009 में काफी नुकसान पहुंचाया था। सालों से यहां गरीबी ने पांव पसार रखे हैं। हालात यह है कि मां को ममता का गला घोंट कर अपने बच्चों को सैकड़ों मील दूर काम करने के लिए भेजना पड़ता है।
एनडीटीवी के किशलय भट्टाचार्य ने जब इलाके का दौरा किया तब एक 16 वर्षीय लापता बच्ची की मां ने बताया कि छह वर्ष पहले उसे हैदराबाद में एक नौकरी के वादे पर ले जाया गया था। दलाल ने परिवार को बताया था कि लड़की के वेतन का कुछ हिस्सा हर महीने उन्हें दिया जाएगा। लेकिन एक बार बच्ची क्या गई आज तक न तो बच्ची की कोई खबर है और न ही दलाल द्वारा किए गए वादे को कभी पूरा किया गया।
एक छप्पर के छोटे से घर में रह रही इस मां का कहना है कि एक साल के वादे के साथ बच्ची को लेकर गए थे लेकिन हर साल दुर्गा पूजा, काली पूजा आई मगर बच्ची कभी वापस नहीं आई। इस मां के पास दो लड़कियों के साथ चार बच्चे हैं और इनकी मासिक आय मात्र एक हजार रुपये हैं। इसी से इस बाद का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब अगली बार दलाल आएगा तब भी यह दुखियारी उसे मना नहीं कर पाएगी।
ऐसा नहीं कि गांव में कोई भी चला जाएगा और काम करके निकल जाएगा। यहां, मानव तस्करी करने वालों का एक सरगना भी है जिसे हरी के नाम से गांव वाले जानते हैं। यह हरी लड़कियों के मंडियों तक पहुंचाने वालों और शहरों में नौकर के काम दिलाने वाली एजेंसियों के बीच कड़ी का काम करता है।
जब एनडीटीवी ने हरी इस बारे में जानना चाहा तो उसे न केवल धमकी दी बल्कि कैमरा छीनने का प्रयास भी किया। हरी नजदीक शहर में लड़कियां बेच देता है। यहां से शहर तक पहुंचने में लड़कियों तमाम हाथों से गुजरना पड़ता है। जो लड़कियां चकलाघर तक नहीं पहुंचती वह किसी नौकर सप्लाई करने वाली एजेंसी पर पहुंच जाती है।
इस तरह की लड़कियों के व्यापार में शामिल एजेंसी इस बात को पक्का कर लेती हैं कि उन्हें समय पर काम का पैसा मिल जाए लेकिन वेतन के असली हकदार तक मेहनताना कभी नहीं पहुंचता। ऐसे हालातों में फंसी लड़कियों के लिए अपने घरों तक की वापसी का रास्ता लगभग बंद ही रहता है। ऐसे में एक आम आदमी की जिंदगी इन्हें कैसे मिले यह तो भगवान भी नहीं बता सकता है।
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि हर जिले में मानव तस्करी के विरोध में ईकाइयां तैयार की जाएं। पश्चिम बंगाल में तीन साल पहले इस पर अमल करने का काम शुरू किया गया। हर यूनिट में पांच सदस्य के साथ कैमरा, सेलफोन और एक गाड़ी की व्यवस्था होनी चाहिए। इस तरह की ईकाई की जरूरत तब सबसे पहले महसूस की गई जब वर्ष 2006 में मानवाधिकार आयोग द्वारा यह रिपोर्ट पेश की गई कि देश में हर साल 45 हजार बच्चे लापता हो जाते हैं।
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लड़की को जिंदा दफन करते बाप-मामा गिरफ्तार
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अंग्रेजी नहीं जानती थी, झेलती रही ससुर का रेप
पाकिस्तान
की एक लड़की शादी के बाद ब्रिटेन आई, लेकिन उसका ससुर उसके साथ रेप करता
रहा। ससुर ने कुरान की कसम देकर उसका मुंह बंद करवा दिया था। यह लड़की
अंग्रेजी नहीं जानने की वजह से भी लंबे समय तक पुलिस में इसकी शिकायत नहीं
कर पाई। अब उसके ससुर को सजा हुई है।
22 साल की इस पाकिस्तानी
युवती की शादी 2008 में हुई थी। इसके बाद वह अपने पति के साथ यहां चली आई।
यहां आते ही ससुर ने उसके गहने और पासपोर्ट रख लिए।
समाचार पत्र
'डेली मेल' के मुताबिक इस व्यक्ति ने अपनी बहू को धमकी दी कि अगर वह उसके
साथ जिस्मानी रिश्ते नहीं बनाएगी तो वह उस पर लांछन लगाकर बेटे से तलाक
दिलवा देगा। साथ ही उसने कुरान की कसम देकर उससे यह वादा ले लिया कि वह इस
बात को गुप्त रखेगी।
वेस्ट यॉर्कशायर में रहने वाली यह लड़की करीब
तीन महीने तक शोषण झेलती रही। आखिर एक दिन इसका सब्र जवाब दे गया और उसने
पुलिस को फोन किया। उस वक्त तक उसे थोड़ा-बहुत अंग्रेजी बोलना आ गया था।
बाद
में उसके ससुर की गिरफ्तारी हुई। अब उसे सात साल की जेल हो गई है। अभियोजक
रिचर्ड क्लेव्स का कहना है कि 2008 में जब यह लड़की शादी के बाद यहां आई
थी तो उसे अंग्रेजी नहीं आती थी और उस वक्त उसकी उम्र महज 18 साल थी।
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