कोई पुलिस ऑफिसर ऐसा प्लान बना सकता है, आप हैरत में पड़ जाएंगे! न्यू यॉर्क का एक पुलिस ऑफिसर लंबे समय से 100 महिलाओं को अवन में पकाकर खाने का प्लान बना रहा था। शुक्र है कि उसके मंसूबों का समय रहते पता चल गया। उसे शुक्रवार को अरेस्ट किया गया। ई-मेल्स ने उसका सारा भांडा फोड़ दिया। अमेरिका की फेडरल अथॉरिटीज ने जानकारी दी है। पुलिस के मुताबिक न्यू यॉर्क पुलिस में तैनात जियबैर्तो वाल्ले एक शख्स से महिलाओं की किडनैपिंग कर उनके अंगों को पकाकर खाने की प्लैनिंग कर रहा था। योजना क्लोरोफॉर्म के जरिए महिलाओं को बेहोश करने और फिर वाल्ले के 28 साल पुराने किचन में लाकर उन्हें पकाने की थी। उसने वहां बड़ा सा अवन भी रखा भी था। दोनों चर्चा कर रहे थे कि अगर किसी महिला के पैर फोल्ड कर दिए जाएं तो अवन में वह पूरी तरह से समा जाएगी। इसके अलावा, ओपन फायर में धीमे-धीमे पकाए जाने के ऑप्शन पर भी वे चर्चा कर रहे थे। बहरहाल, वाल्ले को गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इस प्लैनिंग में शामिल दूसरे शख्स को नहीं पकड़ा गया क्योंकि उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई। हालांकि, दोनों किसी महिला को अब तक नुकसान नहीं पहुंचा पाए। एफबीआई की असिस्टेंट डायरेक्टर ने कहा कि यह ऐसा आरोप है जिसपर कॉमेंट करना बेहद मुश्किल है। आरोपी के खिलाफ की गई कंप्लेंट अपने आपमे सबकुछ बयान कर रही है। एफबीआई को सितंबर में वाल्ले के प्लान के बारे में पता चला। वाल्ले ने अपने होम कंप्यूटर से इस प्लान के बारे में कई महीनों तक इमेल्स और इंस्टैंट मैसेजेस के जरिए चर्चा की। वाल्ले के कंप्यूटर से उन 100 महिलाओं का पूरा डेटाबेस मिला, जिन्हें वह अपना शिकार बनाने की योजना बना रहा था। डाटाबेस में नाम, फोटोग्राफ और पर्सनल डीटेल हर तरह का ब्यौरा था। वाल्ले ने इस डेटाबेस को तैयार करने के लिए गैरकानूनी तरीके से लॉ इंन्फोर्समेंट डेटाबेस का इस्तेमाल किया। कुछ पैसे देकर किडनैपिंग के लिए किसी एक और शख्स का इस्तेमाल करना भी उसकी योजना का हिस्सा था।
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मानव तश्करी एक बड़ी चुनौती
मानव तश्करी एक बड़ी चुनौती बन कर उभरी है बिहार के किशनगंज जिले में .नेपाल बंगलादेश सीमा से बिलकुल सटे होने का खामियाजा जिले को उठाना पड़ रहा है जिले में चल रहे चकला घरो में जिन्दगिया बर्बाद हो रही है /नेपाल और बंगलादेश की लडकियो को जहा इन चकला घरो में धकेला जा रहा है वही जिले के ग्रामीण क्षेत्रो की लडकियो को भी बहला फुसला कर इन चकला घरो में गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर किया जा रहा है .सबसे कम साक्षरता दर वाले किशनगंज जिले में मानव तश्करी के जो आकडे सामने आये है वो बड़े ही चौकाने वाले है पिछले ६ महीने में ही दर्जनों लडकियो को बिकने से बचाया गया है कही पुलिस की तत्परता तो कही सामाजिक जागरूकता ने इन लडकियो की जिंदगियो को बर्बाद होने से बचा लिया लेकिन सब इतने भाग्यशाली नहीं है पिछले १० वर्षो में ग़ुम /लापता हुई लडकियो के आकडे(१०० से अधिक ) बेहद ही महत्व रखते है की किस तरह से सिमांचल का यह जिला बेटियो की खरीद फरोख्त का मुख्य केंद्र बन चूका है /रविया ,सोनी ,नुसरत ,फातिमा ,सीमा ,(काल्पनिक नाम )आदि कई ऐसी लडकिया है जो वर्षो से लापता है परिवार वाले ढूंढ़ – ढूंढ़ कर अंत में थक कर बैठ गए आखिर बेचारे करे तो क्या करे इन लडकियो के ग़ुम होने के पीछे कारण भी कोई और नहीं प्रेम की जाल में भोली भाली लडकियो को दलालों ने तो कही कही सगे सम्बंधियो ,पड़ोशियो ने ही कुछ रूपये की खातिर बेच डाला .उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के एक चकला घर से लौट कर आई एक लड़की को तो उसकी सगी नानी ने ही बेच डाला ऐसे दर्जनों मामले है जहा सौतेली माँ तो कही सौतेला बाप तो कही पति ने ही रूपये के खातिर जिंदगियो का सौदा कर डाला है जिले में दर्जनों चकला घर प्रसाशन और समाज सेवी संगठनों का मुह चिढाते दिख जायेंगे सहरी क्षेत्रो की तो बात जाने दे ग्रामीण क्षेत्रो में भी ये चकला घर मौजूद है जहा साम होते ही रंगीनिया अपने चरम पर होती है और इन रंगीनियो में बचपन को कुचलने का काम खुले आम होता है ऐसा नहीं है की इन चकला घरो के विरोध में स्वर नहीं उठे लेकिन हर उठने वाले स्वर को कुछ दिन बाद दबा देने का काम भी कर दिया जाता है तश्कारो का नेटवर्क इतना मजबूत और हमारा कानून इतना कमजोर है की इसका लाभ खुले आम तश्कारो द्वारा उठाया जाता है कुछ दिन की सजा काटने के बाद ये फिर से अपने धंधे में लग जाते है और एक नया शिकार ढूंढ़ते है /.क्या होता है बचाई गई लडकियो का ? जिन लडकियो को चकला घरो से बचाया जाता है या बच निकलती है उनके लिए सरकार द्वारा अभी तक वैसी कोई कल्याण कारी योजना नहीं बनाई गई है जिससे की उनका जीवन सुधर सके मात्र बचाई गई लडकियो को अल्प आवाश गृह में कुछ दिन के लिए रख दिया जाता है बाद में ये लडकिया यदि परिजनों ने स्वीकार किया तो अपने घर चली गई या फिर से चकला घर पहुचने को मजबूर हो जाती है यही इनकी नियति बन जाती है हलाकि कई गैर सरकारी संगठन माना तश्करी पर कार्य कर रही है लेकिन इनका काम कागजो पर ही सिमटा हुआ है ऐसे में जरुरत है की मानव तश्करी के पुरे नेटवर्क को जड़ से समाप्त किया जाये लोगो में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलया जाये जिससे की बचपन काल कोठरी में गुमनाम होने से बच सके .
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हम चाहें, तो रूकेंगे अपराध
हम आए दिन सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाएं सुनते रहते हैं, क्या इसके लिए हमारी नीतियां ही त्रुटिपूर्ण हैं? महिलाओं के सार्वजनिक स्थान पर खुलेआम उत्पीडित होने की घटनाएं अब अकसर होने लगी हैं। उत्पीड़न की इन अधिकांश घटनाओं के मूल में पब संस्कृति होती है और ये घटनाएं ऎसी जगहों पर होती हैं, जहां लोग फुरसत के क्षणों में मनोरंजन के लिए एकत्रित होते हैं।ज्यादातर ऎसी घटनाएं शाम के समय ही होती हैं। अब तो यह भी देखा जाने लगा है कि इन घटनाओं को लेकर लोगों का गुस्सा जब भड़कता है, तो लोग मूकदर्शक ही बने रहना ज्यादा श्रेयस्कर समझते हैं। इसमें दखल देने की न तो कोई चिंता करता है और न ही कोई परवाह करता है। हालांकि कुछ लोगों के लिए ऎसी घटनाएं एक अवसर की तरह होती हैं कि उन्होंने विरोध-प्रदर्शनों में अपनी भागीदारी निभाई।
सोशल नेटवर्किग साइट्स पर ये मामले विषाणु की तरह फैल जाते हैं। मीडिया उन्हें उछालता है। टीवी चैनलों पर विचार-विमर्श का दौर शुरू हो जाता है। दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि पुलिस हमेशा की तरह या तो देरी से पहुंचती है या चूक जाती है अथवा मामले के प्रति ढिलाई बरत देती है। मैंने कई फोरम पर इस संदर्भ में विचार-विमर्श में भाग लिया है, अपने विचार साझा किए हैं। जागरूक नागरिकों के अधिकारों को लेकर कुछ सुझाव यहां पेश कर रही हूं। हमें यह भलीभांति मालूम है कि पुलिस का पहला कत्तüव्य अपराध रोकना है, इसके लिए उसे व्यवस्थित रूप से घरेलू स्तर पर काम करना चाहिए, खुफिया नेटवर्क को मजबूत करना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि पुलिस के पास जो भी संसाधन मौजूद हैं, चाहे वह पुलिस बल हो या पुलिस नियंत्रण कक्ष की गाडियां, मोटरसाइकिल, स्वयंसेवी कार्यकर्ता, होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा के लोग, वायरलैस सैट्स, कैमरा आदि, वे सब इस हालात में होने चाहिए कि जहां भी गुंडागर्दी या असामाजिक तत्वों के जमावड़े का अनुमान हो, उन्हें तुरंत ही वहां तैनात कर दिया जाए। अपराध रोकने के लिए शाम के समय पब के बाहर अथवा लड़कियों के कॉलेज की जब छुट्टी होती है, तब पुलिस पेट्रोल वाहन को खड़ा कर दिया जाए। इसका असर यह होगा कि तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित होगी। क्षेत्र के लोगों को एकजुट होकर इसकी मांग करना चाहिए। सड़कों पर दुराचरण अथवा हमले की जो घटनाएं होती हैं, विशेषकर महिलाओं के विरूद्ध, तो ऎसी घटनाएं होने की ज्यादातर वजह पुलिस का सही समय पर नहीं पहुंचना अथवा उसकी प्रभावी मौजूदगी न होना ही होती है। ऎसे स्थानों पर पुलिस की तैनाती अत्यंत जरूरी है। काफी बुद्धिमानी और समझदारी से पुलिस की समयबद्ध तैनाती आवश्यक है और यह प्रशासन का कर्तव्य भी है। जनता को भी स्वयंसेवक के रूप में निगरानी के लिए आगे आना होगा। जरूरी यह भी है कि पुलिस का साथ देने के लिए वे रिकॉर्डिग कैमरा भी रखें, ताकि उनका सबूत के तौर इस्तेमाल हो सके। पुलिस के पास जो संसाधन हैं, वह काफी कम हैं। इस वजह से भी अपराध रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया जा सका है। असामाजिक तत्व इस कमी को जानते हैं। लिहाजा वे अपराध भी इसलिए कर देते हैं कि उन्हें दंड का भय नहीं होता। उन्हें यह अच्छी तरह मालूम होता है कि पुलिस के पास साधन नहीं है। पुलिस के काम करने का अपना तरीका है, जो ज्यादा प्रभावशाली होता नहीं दिखता। पुलिस जांच कार्य को भी (बिना लिए या कुछ लेकर) टाल जाती है। इस निरंतरता में होता यह है कि अवांछनीय तत्वों का गुट अपनी मौजूदगी को बढ़ाता रहता है। लोग भी उनके खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत इसलिए नहीं दिखाते कि अपराधी तत्व उनसे बदला ले लेंगे। लोगों को बिना हिचक पुलिस नियंत्रण कक्ष के 100 नंबर पर शिकायत दर्ज कराना चाहिए। ई-मेल करना चाहिए और इन सबका रिकॉर्ड भी रखना चाहिए। अगर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराता है, तो आपराधिक तत्वों के हौसले बढ़ते जाएंगे और लोग भय में ही जीने को मजबूर होंगे। हमारे प्रावधान ही ऎसे हैं कि मीडिया अथवा जन दबाव के चलते जब भी कोई पकड़ा जाता है, तो उसे जमानत मिल जाती है। उनमें से कुछ फिर वही काम करने को उतारू हो जाते हैं। ऎसे लोग गवाहों और शिकायतकर्ताओं को डराते-धमकाते हैं, महंगे वकीलों को खड़ा कर लेते हैं और लड़की अथवा उसके परिवार के चरित्र पर लाछंन लगाना शुरू कर देते हैं। ट्रायल की प्रक्रिया अंतहीन चलती है। लोगों को हिचक त्यागकर बहादुरी से ऎसे पीडित लोगों का साथ देना चाहिए। यह संदेश दूर तक फैलेगा और दुराचारी फिर ऎसा काम कभी नहीं करेंगे। मुकदमे के नाकाम रहने पर पुलिस लोगों को कठघरे में खड़ा करती है और लोग पुलिस को। पुलिस अदालतों पर आरोप लगाती है और अदालत पुलिस पर। और होता यह है कि महिला उत्पीड़न की घटनाएं जारी रहती हैं। असुरक्षा के हालात उत्पन्न होते हैं एवं कानून-व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर होती जाती है। समाज के लिए जरूरी है कि वह मजबूत सामुदायिक पुलिस की मांग करे। इसका अर्थ यह है कि जमीन पर ज्यादा पुलिस बल हो। पुलिसकर्मी आम आदमी के लिए पेट्रोलिंग करें न कि वीआईपी सुरक्षा में तैनात रहें। उन्हें जनता के बीच जाकर जानकारियां एकत्रित करना चाहिए। जो अपराधी रह चुके हैं, उनकी गतिविधियों पर निगाह रखें। इसके अलावा समुदाय के लोग यह भी मांग करें कि पुलिस अधिकारी नागरिकों, व्यापारियों, निजी सुरक्षा कंपनियों समेत अन्य समाजसेवी संस्थाओं के साथ बैठक करें। ऎसा होने से पुलिस को जानकारी हासिल करने, विश्वास बहाली के उपायों में मदद मिलेगी। पुलिस और जनता के बीच संवाद बढ़ने से पुलिस को व्यवस्थित कार्य करने में प्रोत्साहन मिलेगा। यह सब तभी संभव है, जब लोग खुद को संगठित करें, अपने अधिकार जानें और "समझदार-सामुदायिक पुलिस" के लिए खुद दृढ़तापूर्वक डटे रहें।
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पहले लड़की को छेड़ा, फिर ट्रेन से फेंका
अभी गुवाहाटी में लड़की के साथ हुई छेड़छाड़ का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि एक और लड़की के साथ इसी तरह की घटना हो गई। इस बार तो छेड़छाड़ करने वाले युवकों ने उसे जान से मारना भी चाहा। मामला कर्नाटक के मदुर का है। मिली जानकारी के अनुसार पेशे से लेडीज टेलर 19 वर्षीया युवती यशवंतपुर-मैसूर एक्सप्रेस ट्रेन से अपने घर मैसूर जा रही थी, जब ट्रेन शिम्शा नदी के पास पहुंची तो उसी समय कुछ मनचले युवती की बोगी में आए और पहले उस पर भद्दी फब्तियां कसीं। उसके बाद उन लोगों ने उसके साथ शारीरिक रूप से छेड़छाड़ शुरू की, युवती पहले तो चुप रही, लेकिन जब लड़के हद से ज्यादा बढ़ने लगे तो लड़की ने उनका विरोध किया।
मगर, विरोध करके भी लड़की बच नहीं सकी। ट्रेन के बाकी यात्रियों से उसे कोई सपोर्ट नहीं मिला। लड़की के विरोध करने पर लड़के और भड़क गए। उन्होंने युवती को चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया। वह गंभीर रूप से घायल हो गई है। उसकी कमर, पैर और सिर के पिछले हिस्से में गंभीर चोटें आई हैं। हॉस्पिटल में युवती ने बताया कि चार युवकों ने इस घटना को अंजाम दिया। उसने जब उन लोगों से यह कहा कि वह इसकी शिकायत पुलिस से करेगी तो उन्होंने उसे लातों से मारते हुए चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया।
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उत्पीड़न के खिलाफ
महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने, छेड़खानी, यौन हिंसा आदि के खिलाफ कड़े कानून हैं। मगर उनका अपेक्षित असर नजर नहीं आता। इसलिए सरकार ने उचित ही इन कानूनों को अधिक कड़ा बनाने का फैसला किया है। अच्छी बात है कि इस क्रम में महिलाओं पर तेजाबी हमले के खिलाफ भारी जुर्माने और कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। इस मामले में अभी तक कोई स्पष्ट कानून नहीं था। यही वजह है कि तेजाब फेंक कर किसी महिला को अपंग कर देने या जान से मार डालने वालों को सजा दिला पाना कठिन बना हुआ था। पिछले कुछ सालों में तेजाब से महिलाओं के चेहरे विकृत करने की घटनाएं चिंताजनक रूप से बढ़ी हैं। इसे देखते हुए पिछले साल फरवरी में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों से तेजाब की खुलेआम बिक्री पर रोक लगाने को कहा था। मगर अभी तक इस दिशा में कोई व्यावहारिक कदम नहीं उठाया जा सका है। हालांकि भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता की महिला उत्पीड़न संबंधी धाराओं में बदलाव से ऐसी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलने की उम्मीद जगी है। तेजाबी हमले के पीछे ज्यादातर घटनाओं में महिलाओं से व्यक्तिगत रंजिश देखी गई है। इसलिए दोषी की पहचान करना मुश्किल नहीं होता। मगर स्पष्ट कानूनी प्रावधान न होने के कारण उन्हें उचित न्याय नहीं मिल पाता। यही कारण है कि लंबे समय से इसके लिए विशेष कानून बनाने की मांग उठती रही है। कर्नाटक में एक नागरिक समूह लगातार तेजाबी हमले के विरोध में आंदोलन चलाता और सरकार पर इसके खिलाफ कानून बनाने का दबाव बनाता रहा है।
छेड़खानी, यौन हिंसा, तेजाबी हमले जैसी घटनाएं मानसिक विकृति की उपज हैं। तमाम सख्ती, सक्रियता और महिलाओं में जागरूकता के बावजूद इनमें कोई कमी नहीं आ रही तो इसकी एक बड़ी वजह कानून की कमजोर कड़ियां और उन पर अमल कराने वाले तंत्र की लापरवाही या दकियानूस मानसिकता है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर कई बार पुलिस की तरफ से बयान आ चुके हैं कि इसके लिए महिलाओं के परिधान ज्यादा जिम्मेदार हैं। हकीकत यह है कि महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के साठ फीसद से ऊपर मामलों की प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाती। इसकी एक वजह तो लोगों की मामले को तूल न देने या नाहक बदनामी से बचने की कोशिश होती है, मगर बहुत सारे मामलों में पुलिस अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखाती। जिन मामलों में प्राथमिकी दर्ज होती भी है उनमें जांच और तथ्य जुटाने आदि को लेकर पुलिस की शिथिलता के चलते ज्यादातर दोषियों को सजा नहीं मिल पाती। इसके मद्देनजर यौन हिंसा से जुड़े मामलों की छानबीन महिला अधिकारियों से कराने और उनकी सुनवाई विशेष अदालतों में करने का नियम बनाया गया। फिर भी उल्लेखनीय नतीजे नहीं आ पाए हैं। ऐसे में संशोधित कानूनों में भारी जुर्माने और दंड के कड़े प्रावधान होने के बावजूद यह चुनौती खत्म नहीं हुई है। यौन उत्पीड़न का महिलाओं की मानसिक स्थिति पर क्या असर पड़ता है, छिपा नहीं है। तेजाबी हमले की वजह से कई महिलाओं को जान तक गंवानी पड़ी है। जो बच जाती हैं उन्हें आजीवन हीनताबोध में जीते देखा जाता है। ऐसी घटनाओं पर काबू पाना सामाजिक चुनौती तो है ही, उन पहलुओं पर भी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है जिनके चलते दोषियों का मनोबल तोड़ने में मदद नहीं मिल पाती। इसके लिए पुलिस के कामकाज के तरीके को सुधारने और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक तेजाब आदि की बिक्री पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है। |
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पंचायत ने नाबालिग से रेप की कीमत एक लाख लगाई
शर्मसार कर देने वाली एक घटना में एक नाबालिग लड़की सुमन (बदला हुआ नाम) से गांव के एक अधेड़ आदमी पन्ना लाल ने कई बार रेप किया। जब सुमन प्रेगनेंट हो गई तो पंचायत ने पन्ना लाल से 1 लाख रुपए दिलवाकर मामले को रफा-दफा करना चाहा। लड़की के पिता ने पुलिस केस किया तो आरोपी फरार हो गया।14 साल की सुमन की मां बचपन में ही गुजर गई थी। पिता कमाने के लिए दिल्ली चले गए। सुमन गांव में अपने बाबा के साथ रहती थी। जब सुमन का पेट बढ़ने लगा तो इस मामले का खुलासा हुआ। सुमन ने गांव की महिलाओं को पूरा मामला बताया।
सुमन के पड़ोस में 45 साल का पन्ना लाल अपने परिवार के साथ रहता है। पन्ना अक्सर उसे बुलाकर खाने-पीने की चीज देता था। सुमन ने बताया कि 6 महीने पहले पन्ना लाल ने उसके साथ रेप किया और यह बात किसी से न कहने की धमकी भी दी। उसके बाद से लगातार वह उसके साथ रेप करता रहा।
मामले का खुलासा हुआ तो सुमन के बाबा पुलिस के पास गए लेकिन पुलिस ने गांव में ही मामला निपटाने की सलाह दी। गांव में पंचायत ने पन्ना लाल को एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके लिए पन्ना लाल भी तैयार हो गया लेकिन तभी सुमन के पिता मौके पर पहुंच गए। पंचायत का फैसला न मानते हुए वह थाने गए। गोला पुलिस ने पन्ना लाल के खिलाफ रेप का केस दर्ज कर लिया। केस दर्ज होने के साथ ही आरोपी गांव से भाग निकला।
सुमन के पड़ोस में 45 साल का पन्ना लाल अपने परिवार के साथ रहता है। पन्ना अक्सर उसे बुलाकर खाने-पीने की चीज देता था। सुमन ने बताया कि 6 महीने पहले पन्ना लाल ने उसके साथ रेप किया और यह बात किसी से न कहने की धमकी भी दी। उसके बाद से लगातार वह उसके साथ रेप करता रहा।
मामले का खुलासा हुआ तो सुमन के बाबा पुलिस के पास गए लेकिन पुलिस ने गांव में ही मामला निपटाने की सलाह दी। गांव में पंचायत ने पन्ना लाल को एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके लिए पन्ना लाल भी तैयार हो गया लेकिन तभी सुमन के पिता मौके पर पहुंच गए। पंचायत का फैसला न मानते हुए वह थाने गए। गोला पुलिस ने पन्ना लाल के खिलाफ रेप का केस दर्ज कर लिया। केस दर्ज होने के साथ ही आरोपी गांव से भाग निकला।
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मां की गवाही से बेटे को उम्रकैद
सुप्रीम कोर्ट ने एक मां की गवाही पर पश्चिम बंगाल में पड़ोसी की बेटी से दुष्कर्म के बाद हत्या करने के जुर्म में उसके बेटे की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है। न्यायालय ने आरोपी की दलील ठुकराते हुए कहा है कि कोई भी मां अपने बेटे को इतने जघन्य अपराध में नहीं फंसा सकती है।
कोर्ट ने काशीनाथ मंडल की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि दुष्कर्म और हत्या की वारदात का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है और इस्तगासा का मामला सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। कोर्ट ने कहा कि यह सही है कि वारदात का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है लेकिन यह भी सच है कि अपीलकर्ता की मां ने ही अदालत में गवाही दी है। काशीनाथ मंडल ने 30 अक्तूबर, 1997 को हुगली जिले में अपने पड़ोसी की बेटी से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी थी। सत्र अदालत ने इस मामले में अभियुक्त को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
कोर्ट ने काशीनाथ मंडल की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि दुष्कर्म और हत्या की वारदात का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है और इस्तगासा का मामला सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। कोर्ट ने कहा कि यह सही है कि वारदात का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है लेकिन यह भी सच है कि अपीलकर्ता की मां ने ही अदालत में गवाही दी है। काशीनाथ मंडल ने 30 अक्तूबर, 1997 को हुगली जिले में अपने पड़ोसी की बेटी से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी थी। सत्र अदालत ने इस मामले में अभियुक्त को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
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"गोद में बैठने पर ही पढ़ाएंगे पाठ"
बेंगलूरू। एक स्कू ल के अध्यापक ने बेशर्मी की हदें पार करते हुए छात्राओं से कहा कि उसकी गोद में आकर बैठने पर ही वह आगे पढ़ाई करवाएगा।
संगामेश्वर विद्या केन्द्र में हिन्दी पढ़ा रहे शिक्षक एचजी बसावराज के खिलाफ शनिवार को छात्राओं के अभिभावकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसने छात्राओं से छेड़छाड़ करने की कोशिश की। शिकायत के मुताबिक बसावराज पहले दिन से छात्राओं से दुर्व्यवहार कर रहा था।
बेंगलूरू। एक स्कू ल के अध्यापक ने बेशर्मी की हदें पार करते हुए छात्राओं से कहा कि उसकी गोद में आकर बैठने पर ही वह आगे पढ़ाई करवाएगा।
संगामेश्वर विद्या केन्द्र में हिन्दी पढ़ा रहे शिक्षक एचजी बसावराज के खिलाफ शनिवार को छात्राओं के अभिभावकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसने छात्राओं से छेड़छाड़ करने की कोशिश की। शिकायत के मुताबिक बसावराज पहले दिन से छात्राओं से दुर्व्यवहार कर रहा था।
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बाप के सामने लड़की की इज्जत से खिलवाड़
उत्तर 24 परगना जिले के बारासात स्टेशन के नजदीक रात के अंधेरे में फिर एक लड़की मनचलों की बदसलूकी का शिकार हो गई। मौके पर बेटी की इज्जत बचाने गए पिता को भी मनचलों ने नहीं छोड़ा और जमकर पिटाई कर डालीा। इस घटना ने पिछले साल छात्र राजीव दास हत्याकाण्ड की यादें ताजा कर दी है। साथ ही बारासात पुलिस की तत्परता की पोल खोल दी है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार शुक्रवार रात लगभग 8 बजे बनमाली इलाके की किशोरी ट्यूशन पढ़ कर घर लौट रही थी कि स्टेशन के नजदीक कुछ मनचलों ने उस पर अश्लील टिप्पणी की। आपत्ति करने पर युवकों ने उसका पीछा किया। डरी-सहमी किशोरी ने पिता को फोन कर घटना की जानकारी दी। खबर मिलते ही पिता मौके पर पहुंचे। उन्होंने मनचलों का विरोध किया तो वो उन पर टूट पड़े। उनकी पिटाई कर दी। मनचलों की मनमानी देख स्थानीय लोग भड़क उठे। लोगों का गुस्सा देख मनचले भागने लगे। लोगों ने खदेड़ कर उनमें से एक रमेश दास को पकड़ लिया। उसकी जमकर पिटाई की फिर पुलिस के हवाले कर दिया।
रमेश से पूछताछ के बाद बारासात थाने की पुलिस ने वारदात में शामिल शुभंकर दास नामक और एक युवक को गिरफ्तार किया। पीडित किशोरी के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
तृणमूल विधायक ने जले पर नमक छिड़का
घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए स्थानीय तृणमूल विधायक चिरंजीत चक्रवर्ती ने कहा है कि इस तरह की वारदात के लिए कुछ हद तक लड़कियां भी जिम्मेदार हैं। हर रोज स्कर्ट छोटी हो रही है। ड्रेस की डिजाइन बदल रही है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की मेहरबानी पर फिल्म जगत से राजनीति में आए चिरंजीत ने कहा कि लड़कियों से छेड़छाड़ कोई नई घटना नहीं है। प्राचीन समय से ही इस तरह की घटना हो रही है।
यह मामूली घटना है। इस तरह की घटना नहीं होगी तो फिल्म कैसे चलेगी। फिल्म में खलनायक का होना जरूरी है। रामायण में रावण तो होगा न।
विधायक के इस बयान ने पीडित परिवार और बारासात के लोगों पर जले पर नमक छिड़कने जैसा काम किया है। पश्चिम बंगाल महिला आयोग की चेयरपर्सन सुनंदा मुखोपाध्याय समेत रा`य के अनेक बुद्धिजीवियों ने विधायक के इस बयान की कड़ी निंदा की है।
राजीव हत्या काण्ड एक नजर में
बारासात का रहने वाला राजीव दास 14 फरवरी 2011 की रात अपनी बहन को स्टेशन से लेकर घर जा रहा था। रास्ते में स्टेशन के नजदीक कुछ मनचलें राजीव के सामने उसकी बहन से बदसलूकी करने लगे थे। बहन की इज्`e6त बचाने के लिए राजीव ने उनका कड़ा विरोध किया। इससे गुस्सा कर मनचलों ने चाकू मार कर राजीव की हत्या कर दी थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार शुक्रवार रात लगभग 8 बजे बनमाली इलाके की किशोरी ट्यूशन पढ़ कर घर लौट रही थी कि स्टेशन के नजदीक कुछ मनचलों ने उस पर अश्लील टिप्पणी की। आपत्ति करने पर युवकों ने उसका पीछा किया। डरी-सहमी किशोरी ने पिता को फोन कर घटना की जानकारी दी। खबर मिलते ही पिता मौके पर पहुंचे। उन्होंने मनचलों का विरोध किया तो वो उन पर टूट पड़े। उनकी पिटाई कर दी। मनचलों की मनमानी देख स्थानीय लोग भड़क उठे। लोगों का गुस्सा देख मनचले भागने लगे। लोगों ने खदेड़ कर उनमें से एक रमेश दास को पकड़ लिया। उसकी जमकर पिटाई की फिर पुलिस के हवाले कर दिया।
रमेश से पूछताछ के बाद बारासात थाने की पुलिस ने वारदात में शामिल शुभंकर दास नामक और एक युवक को गिरफ्तार किया। पीडित किशोरी के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
तृणमूल विधायक ने जले पर नमक छिड़का
घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए स्थानीय तृणमूल विधायक चिरंजीत चक्रवर्ती ने कहा है कि इस तरह की वारदात के लिए कुछ हद तक लड़कियां भी जिम्मेदार हैं। हर रोज स्कर्ट छोटी हो रही है। ड्रेस की डिजाइन बदल रही है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की मेहरबानी पर फिल्म जगत से राजनीति में आए चिरंजीत ने कहा कि लड़कियों से छेड़छाड़ कोई नई घटना नहीं है। प्राचीन समय से ही इस तरह की घटना हो रही है।
यह मामूली घटना है। इस तरह की घटना नहीं होगी तो फिल्म कैसे चलेगी। फिल्म में खलनायक का होना जरूरी है। रामायण में रावण तो होगा न।
विधायक के इस बयान ने पीडित परिवार और बारासात के लोगों पर जले पर नमक छिड़कने जैसा काम किया है। पश्चिम बंगाल महिला आयोग की चेयरपर्सन सुनंदा मुखोपाध्याय समेत रा`य के अनेक बुद्धिजीवियों ने विधायक के इस बयान की कड़ी निंदा की है।
राजीव हत्या काण्ड एक नजर में
बारासात का रहने वाला राजीव दास 14 फरवरी 2011 की रात अपनी बहन को स्टेशन से लेकर घर जा रहा था। रास्ते में स्टेशन के नजदीक कुछ मनचलें राजीव के सामने उसकी बहन से बदसलूकी करने लगे थे। बहन की इज्`e6त बचाने के लिए राजीव ने उनका कड़ा विरोध किया। इससे गुस्सा कर मनचलों ने चाकू मार कर राजीव की हत्या कर दी थी।
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300 करोड़ के लिए बहन को बताया कॉलगर्ल
देशभर में रक्षा बंधन का त्योहार धूमधाम से मना। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर रखी बांधी। वहीं अमरीका में रहने वाली कुसुम हरसोरा (52) ने गुरूवार का दिन अपने एक भाई प्रदीप (48) के खिलाफ शिकायत करने में गुजारा। कुसुम ने शिकायत की है कि प्रदीप ने अपने दोस्तों में एक एसएमएस भेजा है जिसमें कहा है कि उसकी बहन एक कॉलगर्ल है।
कुसुम और उनकी मां का आरोप है कि प्रदीप अपनी बहन को इसलिए प्रताडित कर रहा है
ताकि वह परिवार की 300 करोड़ रूपए की संपत्ति हड़प सके। कुसुम आर्किटेक्चर में आने से पहले एक व्यावसायिक एअरलाइन में पायलट थीं। यह पता लगने पर कि प्रदीप अपनी मां को भोजन व दवाएं नहीं दे रहा है कुसुम अमरीका से लौट आई। कुसुम महालक्ष्मी में रह रही हैं।
कुसुम ने कहा कि उसने खुले में आने का फैसला अपने भाई को पाठ पढ़ाने के लिए किया है। एक अखबार के अनुसार कुसुम यह पीड़ा पिछले दो साल से सह रही है। इस दौरान उसे वक्त बेवक्त करीब 40 कॉल आए। कुछ ने तो अपने सही नाम भी बताए। इनमें एक कॉलर तो एक पूर्व पुलिस अधिकारी का था।
एक पुलिस का रिटायर्ड एसीपी था। सभी कॉल सैक्स की बातें करने के लिए आते थे। वे मुझे हाई प्रोफाइल प्रोस्टीट्यूट समझ रहे थे। इस पर मैं कुछ कॉलर्स से मिली तो उन्होंने बताया कि उन्हें मेरा नंबर मेरे भाई से मिला।
जब मानसिक पीड़ा हद से गुजर गई तो कुसुम की मां ने प्रदीप के खिलाफ पुलिस में शिकायत की। कुसुम के अलावा विधवा पुष्पा के तीन बेटे हैं। पुष्पा ने अपनी शिकायत में कहा है कि प्रदीप ने उसे खाना व दवाएं देना बंद कर दिया है। प्रदीप को लगता है कि कुसुम संपत्ति में हिस्सा लेने यहां आ गई है इसलिए वह उसे प्रताडित कर रहा है। परिवार इससे पहले भी प्रदीप के खिलाफ शिकायत कर चुका है। वह कोर्ट भी जा चुका है।
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कुसुम और उनकी मां का आरोप है कि प्रदीप अपनी बहन को इसलिए प्रताडित कर रहा है
ताकि वह परिवार की 300 करोड़ रूपए की संपत्ति हड़प सके। कुसुम आर्किटेक्चर में आने से पहले एक व्यावसायिक एअरलाइन में पायलट थीं। यह पता लगने पर कि प्रदीप अपनी मां को भोजन व दवाएं नहीं दे रहा है कुसुम अमरीका से लौट आई। कुसुम महालक्ष्मी में रह रही हैं।
कुसुम ने कहा कि उसने खुले में आने का फैसला अपने भाई को पाठ पढ़ाने के लिए किया है। एक अखबार के अनुसार कुसुम यह पीड़ा पिछले दो साल से सह रही है। इस दौरान उसे वक्त बेवक्त करीब 40 कॉल आए। कुछ ने तो अपने सही नाम भी बताए। इनमें एक कॉलर तो एक पूर्व पुलिस अधिकारी का था।
एक पुलिस का रिटायर्ड एसीपी था। सभी कॉल सैक्स की बातें करने के लिए आते थे। वे मुझे हाई प्रोफाइल प्रोस्टीट्यूट समझ रहे थे। इस पर मैं कुछ कॉलर्स से मिली तो उन्होंने बताया कि उन्हें मेरा नंबर मेरे भाई से मिला।
जब मानसिक पीड़ा हद से गुजर गई तो कुसुम की मां ने प्रदीप के खिलाफ पुलिस में शिकायत की। कुसुम के अलावा विधवा पुष्पा के तीन बेटे हैं। पुष्पा ने अपनी शिकायत में कहा है कि प्रदीप ने उसे खाना व दवाएं देना बंद कर दिया है। प्रदीप को लगता है कि कुसुम संपत्ति में हिस्सा लेने यहां आ गई है इसलिए वह उसे प्रताडित कर रहा है। परिवार इससे पहले भी प्रदीप के खिलाफ शिकायत कर चुका है। वह कोर्ट भी जा चुका है।
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शराब पिलाकर स्कूली छात्राओं से दुष्कर्म
पश्चिम बंगाल के मालदह जिले के कालियाचक गांव के एक निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूल के आवासन में शुक्रवार की रात दवा की जगह शराब पिलाकर तीन छात्राओं से दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीडित छात्राओं ने आरोपी प्रधान शिक्षक नाजीव शेख के खिलाफ थाने में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार नाजीव शेख विद्यालय के प्रधान शिक्षक और मालिक भी हैं। विद्यालय में मालदह, मुर्शिदाबाद, उत्तर तथा दक्षिण दिनाजपुर की छात्राएं पढ़ने के लिए आती हैं। पीडित तीनों छात्राएं हॉस्टल में रहती हैं। वे नौवीं कक्षा में पढ़ती है। शुक्रवार रात तबीयत खराब होने पर प्रधान शिक्षक ने तीनों को दवा की जगह शराब पिला दी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार नाजीव शेख विद्यालय के प्रधान शिक्षक और मालिक भी हैं। विद्यालय में मालदह, मुर्शिदाबाद, उत्तर तथा दक्षिण दिनाजपुर की छात्राएं पढ़ने के लिए आती हैं। पीडित तीनों छात्राएं हॉस्टल में रहती हैं। वे नौवीं कक्षा में पढ़ती है। शुक्रवार रात तबीयत खराब होने पर प्रधान शिक्षक ने तीनों को दवा की जगह शराब पिला दी।
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प्रेगनेंट प्रेमिका को ट्रेन से सुरंग में फेंका
प्रेम और विश्वास को कलंकित करने वाली एक घटना में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक युवक द्वारा अपनी पांच माह की गर्भवती प्रेमिका को चलती ट्रेन से सुरंग में फेंकने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। गंभीर रूप से घायल युवती को जमशेदपुर के टाटा मेन अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
रेलवे पुलिस ने आज बताया कि चक्रधरपुर से पड़ोसी राज्य ओडिशा के राउरकेला जाने वाली सारंडा पैसेंजर ट्रेन की एक बोगी से बुधराम सुंडी ने अपनी प्रेमिका नीलमणि सोय को रविवार को हावडा-मुंबई रेलमार्ग पर गोइलकेरा के पास एक रेलवे सुरंग में धोखे से धक्का देकर नीचे गिरा दिया और खुद बाद में किसी स्टेशन पर उतर कर फरार हो गया।
बुरी तरह घायल युवती को रेल पटरी का निरीक्षण कर रहे रेलकर्मियों ने पहले गोइलकेरा फिर चक्रधरपुर अस्पताल पहुंचाया। लेकिन स्थित गंभीर होने पर रात को उसे जमशेदपुर लाया गया। बताया जाता है कि चक्रधरपुर के सुरगुड़ा पंचायत के हुड़ांगदा गांव की रहने वाली नीलमणि का पास के गांव किशुनपुर निवासी बुधराम से तीन चार वर्ष से प्रेम प्रसंग था। कुछ माह पूर्व वह गर्भवती हो गई थी और बुधराम पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी।
रेलवे पुलिस ने आज बताया कि चक्रधरपुर से पड़ोसी राज्य ओडिशा के राउरकेला जाने वाली सारंडा पैसेंजर ट्रेन की एक बोगी से बुधराम सुंडी ने अपनी प्रेमिका नीलमणि सोय को रविवार को हावडा-मुंबई रेलमार्ग पर गोइलकेरा के पास एक रेलवे सुरंग में धोखे से धक्का देकर नीचे गिरा दिया और खुद बाद में किसी स्टेशन पर उतर कर फरार हो गया।
बुरी तरह घायल युवती को रेल पटरी का निरीक्षण कर रहे रेलकर्मियों ने पहले गोइलकेरा फिर चक्रधरपुर अस्पताल पहुंचाया। लेकिन स्थित गंभीर होने पर रात को उसे जमशेदपुर लाया गया। बताया जाता है कि चक्रधरपुर के सुरगुड़ा पंचायत के हुड़ांगदा गांव की रहने वाली नीलमणि का पास के गांव किशुनपुर निवासी बुधराम से तीन चार वर्ष से प्रेम प्रसंग था। कुछ माह पूर्व वह गर्भवती हो गई थी और बुधराम पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी।
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किडनैपर्स से नाबालिग लड़की को छुड़ाकर पुलिसवाले ने किया रेप
सीतापुर में किडनैप की गई एक नाबालिग लड़की को सब-इंस्पेक्टर ने छुड़ा लिया। लेकिन उसे उसके परिजनों को सौंपने से पहले 5 दिन तक अपने पास रखा और एक चौकीदार के साथ मिलकर उसका रेप किया।
अप्रैल में किडनैप हुई लड़की के मामले में कई बार शिकायत करने पर भी पुलिस आंख मूंदे रही। पुलिस ने पिछले हफ्ते इस मामले में तब कार्रवाई की, जब इससे मिलते-जुलते एक मामले में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए लखनऊ के पुलिस चीफ को तलब किया।
2 अप्रैल को रामेश्वर की 16 साल की बेटी सुनीता (सभी नाम बदले हुए) को रजनेश ने अपने साथियों के साथ मिलकर कि़नैप कर लिया। रामेश्वर ने उसी दिन लिखित शिकायत दी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद रामेश्वर सीनियर ऑफिसर्स के पास गए, जिन्होंने पिसवान पुलिस स्टेशन को केस दर्ज करने के लिए कहा। 8 अप्रैल को पिसवान पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
इसके बाद कोई कार्रवाई न होती देख कर रामेश्वर ने 3 जून को पुलिस स्टेशन के बाहर अपनी जान दे देने की धमकी दी। यह खबर जब स्थानीय मीडिया में आई तो सीनियर ऑफिसर्स ने पिसवान पुलिस से इस केस पर काम करने के लिए कहा। इसके बाद अप्रैल से लापता सुनीता को सब-इंस्पेक्टर (एसआई) राम प्रसाद प्रेमी ने 48 घंटों के भीतर खोज लिया।
रामेश्वर के मुताबिक 5 जून को गांव के चौकीदार ने उन्हें बताया कि सुनीता मिल गई है। वह चौकीदार के साथ उस गांव गए, जहां सुनीता उस वक्त थी। वहां से एसआई के साथ रामेश्वर, सुनीता, चौकीदार और कॉन्स्टेबल पिसवान पुलिस स्टेशन के लिए चले। रामेश्वर ने बताया कि रास्ते में उन्हें गाड़ी से उतार दिया गया और उन्हें खुद पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा गया।
अगले 5 दिन तक वह पुलिस स्टेशन के चक्कर काटते रहे लेकिन वहां पर उन्हें कोई कुछ बताता तो कोई कुछ और। एक बार फिर रामेश्वर ने जान देने की धमकी दी तो चौकीदार उनकी बेटी को घर ले आया। रामेश्वर ने कहा, 'घर आकर उसने उन जुल्मों की दास्तान सुनाई, जो पहले किडनैपर्स ने और बाद में एसआई और चौकीदार ने उस पर ढाए थे।'
तब से रामेश्वर न्याय की भीख मांग रहे हैं लेकिन किसी पर कोई असर नहीं पड़ रहा। रामेश्वर ने हमसे बताया, 'जब लखनऊ में ऐसी ही घटना घटी तो उन्होंने मुझे बुलाकर मेरा बयान ले लिया लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ। इस बार मैं पक्का अपनी जान दे दूंगा और सीतापुर पुलिस इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार होगी।'
इस बारे में जब सीओ मिश्रीख विजय त्रिपाठी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कुछ न जानने का नाटक किया।
इस मामले में सीतापुर पुलिस कटघरे में है क्योंकि लड़की के मिलने के बाद न तो उनका मेडिकल टेस्ट कराया गया और न ही उसे तुरंत घर भेजा गया।
अप्रैल में किडनैप हुई लड़की के मामले में कई बार शिकायत करने पर भी पुलिस आंख मूंदे रही। पुलिस ने पिछले हफ्ते इस मामले में तब कार्रवाई की, जब इससे मिलते-जुलते एक मामले में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए लखनऊ के पुलिस चीफ को तलब किया।
2 अप्रैल को रामेश्वर की 16 साल की बेटी सुनीता (सभी नाम बदले हुए) को रजनेश ने अपने साथियों के साथ मिलकर कि़नैप कर लिया। रामेश्वर ने उसी दिन लिखित शिकायत दी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद रामेश्वर सीनियर ऑफिसर्स के पास गए, जिन्होंने पिसवान पुलिस स्टेशन को केस दर्ज करने के लिए कहा। 8 अप्रैल को पिसवान पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
इसके बाद कोई कार्रवाई न होती देख कर रामेश्वर ने 3 जून को पुलिस स्टेशन के बाहर अपनी जान दे देने की धमकी दी। यह खबर जब स्थानीय मीडिया में आई तो सीनियर ऑफिसर्स ने पिसवान पुलिस से इस केस पर काम करने के लिए कहा। इसके बाद अप्रैल से लापता सुनीता को सब-इंस्पेक्टर (एसआई) राम प्रसाद प्रेमी ने 48 घंटों के भीतर खोज लिया।
रामेश्वर के मुताबिक 5 जून को गांव के चौकीदार ने उन्हें बताया कि सुनीता मिल गई है। वह चौकीदार के साथ उस गांव गए, जहां सुनीता उस वक्त थी। वहां से एसआई के साथ रामेश्वर, सुनीता, चौकीदार और कॉन्स्टेबल पिसवान पुलिस स्टेशन के लिए चले। रामेश्वर ने बताया कि रास्ते में उन्हें गाड़ी से उतार दिया गया और उन्हें खुद पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा गया।
अगले 5 दिन तक वह पुलिस स्टेशन के चक्कर काटते रहे लेकिन वहां पर उन्हें कोई कुछ बताता तो कोई कुछ और। एक बार फिर रामेश्वर ने जान देने की धमकी दी तो चौकीदार उनकी बेटी को घर ले आया। रामेश्वर ने कहा, 'घर आकर उसने उन जुल्मों की दास्तान सुनाई, जो पहले किडनैपर्स ने और बाद में एसआई और चौकीदार ने उस पर ढाए थे।'
तब से रामेश्वर न्याय की भीख मांग रहे हैं लेकिन किसी पर कोई असर नहीं पड़ रहा। रामेश्वर ने हमसे बताया, 'जब लखनऊ में ऐसी ही घटना घटी तो उन्होंने मुझे बुलाकर मेरा बयान ले लिया लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ। इस बार मैं पक्का अपनी जान दे दूंगा और सीतापुर पुलिस इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार होगी।'
इस बारे में जब सीओ मिश्रीख विजय त्रिपाठी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कुछ न जानने का नाटक किया।
इस मामले में सीतापुर पुलिस कटघरे में है क्योंकि लड़की के मिलने के बाद न तो उनका मेडिकल टेस्ट कराया गया और न ही उसे तुरंत घर भेजा गया।
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जीबी रोड से मां ने बेटी को कराया आजाद
रेड लाइट एरिया जी.बी. रोड के कोठे में कैद बेटी को उसकी मां ने पुलिस की मदद से आजाद कराया। बहन की तलाश में उसका भाई कस्टमर बनकर कई कोठों में गया। एक कोठे में उसने अपनी बहन को देखकर मां के माध्यम से पुलिस को खबर दिलवाई। कोठा चलाने वालों के खिलाफ देह व्यापार कराने, रेप, अपहरण आदि धाराओं में केस दर्ज किया गया है।अडिशनल पुलिस कमिश्नर (सेंट्रल) देवेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक आंध्र प्रदेश में रहने वाली बुजुर्ग महिला ने कमला मार्केट थाने में आकर एसएचओ प्रमोद जोशी को बताया कि उनकी बेटी संगीता (बदला नाम, 27 साल) जी. बी. रोड पर कोठा नंबर 5211 के फर्स्ट फ्लोर पर कैद कर रखी गई है।
पुलिस ने कोठे पर रेड डालकर संगीता को आजाद करा लिया। उसने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि उनका परिवार आंध्र प्रदेश में धान की बुवाई कर अपना भरण-पोषण करता है। पिछले महीने एक महिला उनके गांव में आकर संगीता के परिवार से मिली थी।उस महिला ने बताया था कि उसके दिल्ली में खासे संपर्क हैं और वह संगीता की नौकरी दिल्ली में लगवा देगी। उस पर भरोसा कर संगीता को उसके मां-बाप ने उसके साथ दिल्ली भेज दिया। वह औरत नौकरी लगवाने के बजाय उसे जी.बी. रोड पर ले आई। यहां कोठा चलाने वालों से 20 हजार रुपये लेकर उसने संगीता को बेच दिया।
संगीता से कोठा मालकिन जबरन देह व्यापार करा रही थी। संगीता के पास एक दिन आंध्र प्रदेश का कस्टमर आया। उसे तेलुगू बोलते सुनकर संगीता ने उसे अपनी हालत के बारे में उसके परिवार को खबर देने की गुहार लगाई। उस कस्टमर ने आंध्र प्रदेश जाकर उसके परिवार को इस बारे में जानकारी दी। उसने कोठा नंबर भी बता दिया। नौकरी के बजाय बेटी को कोठे पर बेचे जाने की खबर से संगीता का परिवार सदमे में रह गया।
उसकी मां और भाई दिल्ली आए। इस बीच शक हो जाने पर संगीता को दूसरे कोठे पर शिफ्ट कर दिया गया। संगीता का भाई कस्टमर बनकर कई कोठों में गया, लेकिन कई दिन तक कोशिश करने पर भी उसे अपनी बहन नहीं मिली। आखिरकार सोमवार को उसे कोठा नंबर 5211 में संगीता मिल गई।
बहन से बात करने के बाद भाई ने बाहर आकर अपनी मां को खबर दी। वह कमला मार्केट थाने गई। इसके बाद पुलिस ने संगीता को आजाद कराया। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी मुलजिमों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। गिरफ्तारी से पहले पुलिस कोर्ट में धारा 164 के तहत संगीता के बयान दर्ज कराना चाहती है। पुलिस ने संगीता को नारी निकेतन भेज दिया है।
पुलिस ने कोठे पर रेड डालकर संगीता को आजाद करा लिया। उसने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि उनका परिवार आंध्र प्रदेश में धान की बुवाई कर अपना भरण-पोषण करता है। पिछले महीने एक महिला उनके गांव में आकर संगीता के परिवार से मिली थी।उस महिला ने बताया था कि उसके दिल्ली में खासे संपर्क हैं और वह संगीता की नौकरी दिल्ली में लगवा देगी। उस पर भरोसा कर संगीता को उसके मां-बाप ने उसके साथ दिल्ली भेज दिया। वह औरत नौकरी लगवाने के बजाय उसे जी.बी. रोड पर ले आई। यहां कोठा चलाने वालों से 20 हजार रुपये लेकर उसने संगीता को बेच दिया।
संगीता से कोठा मालकिन जबरन देह व्यापार करा रही थी। संगीता के पास एक दिन आंध्र प्रदेश का कस्टमर आया। उसे तेलुगू बोलते सुनकर संगीता ने उसे अपनी हालत के बारे में उसके परिवार को खबर देने की गुहार लगाई। उस कस्टमर ने आंध्र प्रदेश जाकर उसके परिवार को इस बारे में जानकारी दी। उसने कोठा नंबर भी बता दिया। नौकरी के बजाय बेटी को कोठे पर बेचे जाने की खबर से संगीता का परिवार सदमे में रह गया।
उसकी मां और भाई दिल्ली आए। इस बीच शक हो जाने पर संगीता को दूसरे कोठे पर शिफ्ट कर दिया गया। संगीता का भाई कस्टमर बनकर कई कोठों में गया, लेकिन कई दिन तक कोशिश करने पर भी उसे अपनी बहन नहीं मिली। आखिरकार सोमवार को उसे कोठा नंबर 5211 में संगीता मिल गई।
बहन से बात करने के बाद भाई ने बाहर आकर अपनी मां को खबर दी। वह कमला मार्केट थाने गई। इसके बाद पुलिस ने संगीता को आजाद कराया। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी मुलजिमों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। गिरफ्तारी से पहले पुलिस कोर्ट में धारा 164 के तहत संगीता के बयान दर्ज कराना चाहती है। पुलिस ने संगीता को नारी निकेतन भेज दिया है।
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