-------------------------------
शराब और लड़कियां
नारी आज हर क्षेत्र में पुरुष को टक्कर दे रही है या यू कहो हर क्षेत्र में पुरुषो से आगे भी निकल रही है ,,,,,,उसके साथ ही वो पुरुषो की भाति पहनावा और रहन-सेहन भी अपना रही है …मगर किस हद तक औरतो को पुरुषो की राह पे चलना चाइये, ये भी सोचने योग्य बात है , मात्र नक़ल या किसी से आगे निकलने होड़ ही सब कुछ नही होती………………..
और ऐसा ही एक बार मेरे साथ हुआ जब सीमओं को लेकर मेरे और एक अनजान लड़की के बीच कुछ कहासुनी हो गयी ………
एक दिन मैं बस के इंतजार में खड़ा था, और पास की दुकान में टी,वी. चल रहा था ………तभी टी,वी. पे एक दृश्य आया, जिसमे एक लड़की सिगरेट और शराब पी रही थी, अचानक मेरे मुह से निकल गया " उफ़ ये टी,वी…..इन्होने ही आज कल की लडकियों को बिगाड़ा है ,,,,,,,,,
.यकायक मेरे पीछे से आवाज़ आई " क्या सभी कार्य करने की छुट तुम लडको को ही है ………..मैं पीछे पलटा तो एक सावली से, मगर सुंदर, एक लड़की मेरी तरफ बढ़ रही थी ………..मेरे सामने आके वो बोली " तुम लड़के खुद को क्या समझते हो ? हमेशा से तुम यही मानते आये हो की लडको या पुरुषो को हर कार्य की आज़ादी है, मगर वोही कार्य लड़की या स्त्री करे तो समाज, उसके चरित्र पर उंगलिया उठाता है…आखिर क्यों ?" मैंने चुप्पी तोड़ते हुवे कहा " आज नारी को हर तरह की आज़ादी है, परन्तु शराब और सिगरेट ये नारी को शोभा नहीं देते "…वो बोली " जब वो तुम्हे शोभा दे सकती है तो हमे क्यों नहीं " मैंने कहा " वो नारी स्वास्थ के लिए अच्छी चीज़ नहीं है " वो बोली " क्यों तुम लोगो का स्वास्थ हम लोगो से अलग होता है " मैंने कहा : "हमारे समाज में शुरु से यानि के जब देवता इस धरती पे बसते थे, तब से नर ने इस शराब का सेवन किया है,,,परन्तु नारी ने इस कलयुग में आके ………"
.
.हमारी बहस बढती गयी, और आखिर में फैसला हुआ कि कुछ ऐसे बिन्दुओ पे प्रकाश डाला जाये जिसे ये साबित हो जाये कि नारी को शराब पीनी चाइये या नहीं ……..उन्होंने वही नारी भाषण मुझे सुना दिया …अब बारी मेरी थी, मैंने कहा " लडकियों के शरीर की रचना कुछ ऐसी होती है कि शराब का असर लडको के मुकाबले उन्हें जल्दी होता है और उसका असर काफी देर तक रहता है और ऐसा एंजाइमों के एक समूह dehydrogenases के कारण होता है….शराब तेजी से रक्त प्रवाह में अवशोषित हो जाती है और इसलिए भी ये हानिकारक है ,,,,,,लड़के और लड़कियों दोनों ही शराब के जहरीले प्रभाव से प्रभावित होते हैं, लेकिन लडकियाँ अतिसंवेदनशील होती है . मैं बोलते बोलते रूक गया, वो बोली : क्या हुआ...
.मैंने कहा : कुछ बातें ऐसी होती है जो डॉक्टर या किसी खास से ही की जाती है, आप समझ रही है न, मैं क्या कहना चाहता हूँ ……वो बोली: तुम बोलते रहो, संकोच मत करो …………..और मैंने फिर से बोलना शुरु किया :गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से आने वाली पीढ़ी में कई बीमारिया निश्चित हो जाती है जैसे पैदा हुआ बच्चा मानसिक तौर पे पूर्ण नहीं होगा या शरीर में कोई विकलांगता आ सकती है या जनम से पहले ही उसका अंत हो सकता है या और भी बहुत कुछ हो सकता है, ……शराब मस्तिष्क की गतिविधि को प्रभावित करता है ……इसके अतरिक्त जिगर की बीमारी, कैंसर, Pancreatitis , दिल की बीमारी और मधुमेह जैसी बीमारी हो जाती है, ये बीमारी पुरुषो को भी होती है, मगर शराब नारी के शरीर को जल्दी इन बीमारी का शिकार बना देती है ….
.
.वो मेरा मुह देख रही थी, और मैं बोलता जा रहा था : एक कमाल की बात और बताऊ सब समझते है कि शराब पीने से नकारात्मक मनोदशा को कम , विश्वास को बढ़ा, तनाव और वजन कम होता है, मगर ऐसा कुछ हद तक ही होता है……….और अगर ऐसा होता भी है तो भी ये शराब सही का नाश ही करती है ……..
.मुझे बीच में अपनी बात रोकनी पड़ी मैंने कहा : ज्यादा जानकारी के लिए आप नेट की सहायता ले सकती है ….मगर सच यही है कि शराब लडकियों के लिए नहीं बनी थी और ना ही बनी है …………
मैं बस में बैठा इसी बात को सोच रहा था और सोचते सोचते मेरे मन में कई विचार आ गए जैसे : अगर कल मेरे पत्नी ऐसी हुयी तो क्या होगा, कल मेरी लड़की ऐसी हुयी तो क्या मैं उसे ये सब करने से रोक पाउँगा, क्या यही हमारे भारत की संस्कृति है, शायद इसका यही इलाज़ है कि शराब के कारोबार को ही बंद कर दिया जाये, मगर फिर हमारी सरकार को मिलने वाली बड़ी धनराशी रुक जाएगी,,….मगर हमारे देश का कौन सा विकास हो रहा है इस धन से, ये तो नेता अपने लिए खर्च कर रहे है,,,,,तो फिर बंद ही कर दे इस कारोबार को,,,,,,,न रहेगी शराब, न होंगे पीने वाले, क्युकी रहेगी शराब तो, रहेंगे जिन्दा पिने के बहाने
-------------------------------------------------------------------------
एक ऐसा गांव जहां बेटियां ही नहीं
कन्या भ्रूण हत्या न रुकी तो भविष्य भयावह होगा यह तो हम सभी जानते हैं। मगर लड़कियों की कमी के कारण देश के कई क्षेत्रों में उस भयावह भविष्य के संकेत अभी से दिखने लगे हैं।
आंध्रप्रदेश के पुसुकुंटा गांव में शादी के सपने देखते-देखते कई लोग बूढ़े हो गये लेकिन दुल्हा बनने का अरमान पूरा नहीं हुआ। इनका मानना है कि लड़कियों का जन्म नहीं होना इस गांव के लिए श्राप है।
जाति को बचाए रखने का संकट
पुसुकुंटा गांव में कोंड रेड्डी जाति के आदिवासी निवास करते हैं। इस पूरे गांव या कहें तो उनकी पूरी बिरादरी में किसी भी घर में बेटियां नहीं है। इसलिए लोगों की शादी नहीं हो पा रही है।
गांव में सिर्फ तीन विवाहित जोड़े हैं मगर उनके घर भी लड़कियां पैदा नहीं हुई। इसलिए इन आदिवासियों के सामने अपनी जाति को बचाये रखने का संकट बना हुआ है। इनका कहना है कि किसी की शादी ही नहीं होगी तो बच्चे नहीं होंगे और धीरे-धीरे इनका वजूद समाप्त हो जाएगा।
वन देवता का श्राप
पुसुकुंटा गांव के आदिवासियों का मानना है कि वन देवता के श्राप के कारण ही इस गांव में लड़कियां पैदा नहीं हो रही हैं और उन्हें ब्रह्मचारियों जैसा जीवन गुजाराना पड़ रहा है।
कई गांवों में लड़कियों की कमी के कारण बहुपति प्रथा की शुरूआत हो चुकी है।
मुरैना से करीब 15 किलोमीटर दूर राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा के नजदीक बसे गांव धौलपुर से कुछ दूरी पर सराय छोला गांव में बहुपति प्रथा धीरे-धीरे जड़ जमाती जा रही है। गुजरात-राजस्थान सीमा के दांग जिले में भी यही स्थिति है।
आंध्रप्रदेश के पुसुकुंटा गांव में शादी के सपने देखते-देखते कई लोग बूढ़े हो गये लेकिन दुल्हा बनने का अरमान पूरा नहीं हुआ। इनका मानना है कि लड़कियों का जन्म नहीं होना इस गांव के लिए श्राप है।
जाति को बचाए रखने का संकट
पुसुकुंटा गांव में कोंड रेड्डी जाति के आदिवासी निवास करते हैं। इस पूरे गांव या कहें तो उनकी पूरी बिरादरी में किसी भी घर में बेटियां नहीं है। इसलिए लोगों की शादी नहीं हो पा रही है।
गांव में सिर्फ तीन विवाहित जोड़े हैं मगर उनके घर भी लड़कियां पैदा नहीं हुई। इसलिए इन आदिवासियों के सामने अपनी जाति को बचाये रखने का संकट बना हुआ है। इनका कहना है कि किसी की शादी ही नहीं होगी तो बच्चे नहीं होंगे और धीरे-धीरे इनका वजूद समाप्त हो जाएगा।
वन देवता का श्राप
पुसुकुंटा गांव के आदिवासियों का मानना है कि वन देवता के श्राप के कारण ही इस गांव में लड़कियां पैदा नहीं हो रही हैं और उन्हें ब्रह्मचारियों जैसा जीवन गुजाराना पड़ रहा है।
कई गांवों में लड़कियों की कमी के कारण बहुपति प्रथा की शुरूआत हो चुकी है।
मुरैना से करीब 15 किलोमीटर दूर राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा के नजदीक बसे गांव धौलपुर से कुछ दूरी पर सराय छोला गांव में बहुपति प्रथा धीरे-धीरे जड़ जमाती जा रही है। गुजरात-राजस्थान सीमा के दांग जिले में भी यही स्थिति है।
No comments:
Post a Comment